प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 विदुर पांडवों को किस बात के लिए न्यौता देने गए थे?
प्रश्न-2 राजवंशों की रीति के अनुसार चौसर के खेल का क्या नियम था?
प्रश्न-3 सभा-मंडप में कौन-कौन उपस्थित थे?
प्रश्न-4 युधिष्ठिर की चौसर के खेल के बारे में क्या राय थी?
प्रश्न-5 कुशल समाचार पूछने के बाद शकुनि ने सभा-मंडप में युधिष्ठिर से क्या कहा?
प्रश्न-6 युधिष्ठिर के सलाह माँगने पर विदुर क्या बोले?
प्रश्न-7 युधिष्ठिर चौरस के खेल में क्या-क्या हर गए?
प्रश्न-8 युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र का न्यौता क्यों स्वीकार कर लिया?
प्रश्न-9 किसने किससे कहा?
i. “चाचा जी! चौसर का खेल अच्छा नहीं है। उससे आपस में झगड़े पैदा होते हैं।”
ii. “यह तो किसी से छिपा नहीं है। कि चौसर का खेल सारे अनर्थ की जड़ होता है।”
iii. “राजन्, यह खेल ठीक नहीं है। बाज़ी जीत लेना साहस का काम नहीं है।”
iv. “आप भी क्या कहते हैं, महाराज! यह भी कोई धोखे की बात है!”
v. “मेरी राय यह है कि किसी एक की जगह दूसरे को नहीं खेलना चाहिए। यह खेल के साधारण नियमों के विरुद्ध है।”