प्रश्न

प्रश्न-1  हनुमान जी ने सीताजी को किस प्रकार अपना परिचय दिया?

 

प्रश्न-2   राक्षसी त्रिजटा ने सपने में क्या देखा?

 

प्रश्न-3   राक्षसियों के जाने के बाद हनुमान सीता से मिलने के लिए पेड़ से क्यों नहीं उतरे?

 

प्रश्न-4   हनुमान ने पेड़ पर बैठे - बैठे किसकी कथा प्रारंभ की?

 

प्रश्न-5   हनुमान ने राम की कौन सी वस्तु सीता को दी?

 

प्रश्न-6   हनुमान ने सीता के मन की शंका को कैसे दूर किया?

 

प्रश्न-7: किसने किससे कहा?

i.        “कहीं सीता मुझे भी राक्षस न समझ लें । मायावी चाल मान लें ।”

 

ii.       “तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है, सुमुखी!”

 

iii.      “सोच लो, तुम्हारे पास अब केवल दो महीने बचे हैं।”

 

iv.      “ऐसा कभी नहीं होगा, दुष्ट! राम के सामने तुम्हारा अस्तित्व ही क्या है?”

 

v.       “तुम्हें कोई नहीं बचा सकता मूर्ख राक्षस! तुम्हारा अंत निकट है।”

 

vi.      “तुम मूर्ख हो रावण का प्रस्ताव अस्वीकार कर रही हो यह रावण की नगरी है।”

 

vii.     “हे माता! मैं राम का दास हूँ। किष्किंधा के वानरराज सुग्रीव का अनुचर।”

 

viii.    “यह उचित नहीं होगा, पुत्र! पकडे गए तो मेरा संदेश भी राम तक नहीं पहुंचेगा।”

 

Last modified: Monday, 31 December 2018, 12:42 PM