उत्तर - 'दीवानों की हस्ती' कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं।
उत्तर – कवि सुख और दुःख को समान भाव से ग्रहण करता है।
उत्तर - कवि समाज की भलाई के लिए हमेशा संघर्षरत रहता है।
उत्तर – स्वच्छंद - अपनी इच्छा के अनुसार चलने वाला, उर - ह्रदय
उत्तर – विशेषताएँ - दीवाना, मस्ताना, सुख दुःख बाँटने वाला, उल्लास से भरा हुआ इत्यादि
उत्तर - कवि सुख - दुःख की भावना से इसलिए निर्लिप्त है क्योंकि वह सुख और दुःख को समान भाव से देखता है।
उत्तर - कवि समाज में व्याप्त बुराइयों, रूढ़िग्रस्त रीती - रिवाज़ों के परंपरागत बंधनों को तोड़ने की बात कह रहा है।
उत्तर - कवि ने दुनियाँ को भिखमंगा इसलिए कहा है क्योंकि दुनिया में सभी लोग एक दूसरे से कुछ न कुछ माँगते रहते हैं।
उत्तर - कवि लोगों में खुशियाँ बाटना चाहता है। वह लोगों के मन से दुःख और भय जैसे भावों को दूर करना चाहता है।
उत्तर - कवि अपने इच्छानुसार जीवन का आनंद लेना चाहता है। उसे जो भी राह दिखती है वह उसी पर आगे बढ़ जाता है। इसलिए कवि की मंज़िल निश्चित नहीं है।
उत्तर - कवि स्वंय सांसारिक बंधनों से बंधकर आया था परन्तु वह अब सांसारिकता के सभी बंधनों को अपनी इच्छा से तोड़कर स्वच्छंद जीना चाहता है।
उत्तर - कविता में कवि का जीवन को जीने का नज़रिया, हर परिस्थिति में खुश रहने की कला, सुख - दुःख को समान भाव से लेने की कला, दूसरों की खुशियों को ध्यान रखना इत्यादि बातें अच्छी लगी।
उत्तर - कवि ने अपने आप को दीवाना इसलिए कहा है क्योंकि वह मस्तमौला है। उसे किसी बात की फिक्र नहीं है। वह अपनी मस्ती में ही बिना किसी मंज़िल के आगे बढ़ा चला जा रहा है।
उत्तर - कवि को दुनिया की कोई परवाह नहीं है। न उसे किसी बात का दुःख है और ना ही किसी बात की खुशी। उसका रुकने का कोई निश्चित स्थान नहीं है। यही कारण है की कवि ने अपने जीवन को मस्त कहा है।
उत्तर - कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ इसलिए कहा है क्योंकि उसके आने पर लोगों में जोश तथा ख़ुशी का संचार होता है। कवि लोगों में खुशियाँ बाटता है। इसी कारण लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं। पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उनकी आँखों से आँसू बह निकलते हैं।
उत्तर – यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला जिसकी वह आशा करता है। कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अत: कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।