उत्तर – कहानी में सूप के पीछे भागती भेड़ों की तुलना जर्मनी के टैंकों बमबारी सेना से की गई है क्योंकि भेड़ें जहाँ से भी गुजर रहीं थी वे सबकों निःसंकोच रौंदती जा रही थीं।
उत्तर – बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नहीं था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। वे कभी-भी कोई काम करना सीख ही नहीं पाएँगें।
उत्तर – पानी भरते समय नल पर घमासान मचा हुआ था। एक भी बूँद पानी का किसी के बर्तन में न आ सका क्योंकि वहाँ ठूसम - ठास हो रही थी। पहले तो धक्के चले, फिर कुहनियाँ और उसके बाद बर्तन। इस धींगामुश्ती में कुछ बच्चे कीचड़ में लथपथ भी हो गए।
उत्तर - तरकारीवाली मटर की फलियाँ तोल - तोल कर रसोइए को दे रही थी। इतने में ही भेड़ें सूप को भूल कर तरकारीवाली की टोकरी पर टूट पड़ी। उसने तरकारी बचाने के लिए कोशिश की परन्तु सब्जियों को बचा नहीं पाई। ज़रा सी देर में भेड़ों ने सब्जियाँ साफ कर दी।
1. प्र ………….
2. आ ………….
3. भर ………….
4. बद ………….
उत्तर - 1. प्र–प्रभाव, प्रबल, प्रयोग, प्रचलन, प्रदीप, प्रकोप, प्रवचन
2. आ–आभार, आजन्म, आगत, आदान, आगम, आमरण
3. भर– भरमार, भरसक, भरपेट, भरपूर
4. बद– बदमिज़ाज, बदनाम, बदरंग, बदतर, बदसूरत
उत्तर – 'कामचोर' से यही सीख मिलती है कि काम के लिए समझदारी होना आवश्यक है। पाठ में अब्बा ने बच्चों को काम तो दे दिया परन्तु उन्हें किस प्रकार करना है वह बच्चों को नहीं समझाया। बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए। जिससे बचपन से ही उनमें काम के प्रति लगन तथा रूचि उत्पन्न हो सके।
उत्तर – कहानी 'कामचोर' में बच्चों ने बिना सोचे विचारे काम किए जिनके दुष्परिणाम पूरे घर को भुगतना पड़ा। दुर्घटना भी होते - होते बची। अब्बा ने क्रोध में फैसला लिया और बच्चों को काम तो दे दिया परन्तु क्रोध में लिया गया फैसला गलत ही होता है। बच्चों में काम करने का खूब जोश था परन्तु उन्हें अनुभव नहीं था। अंत में अब्बा को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।