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      भगवान के डाकिए

      प्रश्न / उत्तर

       

      प्रश्न-1   'भगवान के डाकिए' कविता के रचयिता कौन हैं?

      उत्तर - 'भगवान के डाकिए' कविता के रचयिता रामधारी सिंह 'दिनकर' जी हैं।

       

      प्रश्न-2   क्या बादल सीमाओं को मानते हैं?

      उत्तर -  नहीं, बादल सीमाओं को नहीं मानते हैं।

       

      प्रश्न-3   भगवान के डाकिए किन्हें कहा गया है?

      उत्तर भगवान के डाकिए पक्षी और बादल को कहा गया है।

       

      प्रश्न-4   इस कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?  

      उत्तर एकता, भाईचारे और सप्रेम से मिलजुलकर रहने का संदेश देना चाहता है।



      प्रश्न-5   बादल और पक्षी क्या संदेश लेकर आते हैं?

      उत्तर - बादल और पक्षी प्रकृति में होने वाले परिवर्तन का संदेश लेकर आते हैं।

       

      प्रश्न-6   पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।   

      उत्तर - पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को केवल पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, नदियाँ पहाड़ ही पढ़ सकते हैं।

       

      प्रश्न-7   पक्षियों और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?   

      उत्तर - पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, सौहार्द और आपसी सद्भाव की दृष्टि से देख सकते हैं। यह हमें यहीं संदेश देते हैं।

       

      प्रश्न-8   “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”-कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

      उत्तरएक देश की धरती अपने सुगंध प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सद्भावना का संदेश भेजती है। धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलों की सुगंध को हवा से और पानी को बादलों के रूप में भेजती है। हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

       

      प्रश्न-9   कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।

      उत्तर - कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए बताया है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। इन संदेशों को मनुष्य इतनी आसानी से नहीं पढ़ अथवा समझ पाते परन्तु पेड़ - पौधे, नदी - सागर आदि इनके संदेशों को बड़ी सरलता से पढ़ लेते हैं। 



      प्रश्न-10   पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधें, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?   

      उत्तर पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधें, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और  सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। तभी तो नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने जल को बाँटती है। पहाड़ भी सामान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। हवा भी समान भाव से बहती हुई अपनी ठंडक, शीतलता व सुगन्ध को बाँटती है। पेड़-पौधें भी समान भाव से अपने फल, फूल व सुगन्ध को बाँटते हैं। ये सभी कभी भेदभाव नही करते। मानव को भी इनसे प्रेरणा लेकर प्रेम और सद्भावना को बढ़ाना चाहिए।

       

      प्रश्न-11   हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका पर दस वाक्य लिखिए।

      उत्तर - डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पहले की तुलना में बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परन्तु आज भी गाँवों में डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए देखा जा सकता है। चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, ये हमेशा हमारी चिट्ठियाँ हम तक पहुँचाते आए हैं। आज भी गाँवों में डाकियों को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गाँव की अधिकतर आबादी कम पढ़ी लिखी होती है परन्तु जब अपने किसी सगे-सम्बन्धी को पत्र व्यवहार करना होता है तो डाकिया उनका पत्र लिखने में मदद करते है। आज चाहे शहरों में चिट्ठी के द्वारा पत्र-व्यवहार न के बराबर हो पर ये डाकिए हमारे स्मृति-पटल में सदैव निवास करेगें।

       

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