Topic outline

    • विराट का भ्रम   

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      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-1 राजकुमार उत्तर को अर्जुन से कंक के बारे में क्या मालूम हो चुका था?

      उत्तर – राजकुमार उत्तर को अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं।

       

      प्रश्न-2 राजकुमार उत्तर के बारे में राजा विराट को क्या भ्रम हुआ?

      उत्तर – राजकुमार उत्तर के बारे में राजा विराट को भ्रम हुआ कि विख्यात कौरव-वीरों को उनके बेटे ने अकेले ही लड़कर जीत लिया!

       

      प्रश्न-3  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर क्यों चकित रह गया? 

      उत्तर -  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर चकित रह गया क्योंकि उसे अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं।

       

      प्रश्न-4  अंत:पुर में राजकुमार उत्तर को न पाकर जब राजा ने पूछताछ की तो उन्हें क्या पता चला?

      उत्तर- अंत:पुर में राजकुमार उत्तर को पाकर राजा ने पूछताछ की तो स्त्रियों ने बड़े उत्साह के साथ बताया कि कुमार कौरवों से लड़ने गए हैं।

       

      प्रश्न-5  राजा विराट को शोकातुर होते देखकर कंक ने उन्हें दिलासा देते हुए क्या कहा?

      उत्तर- राजा को इस प्रकार शोकातुर होते देखकर कंक ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा-" आप राजकुमार की चिंता करें। बृहन्नला सारथी बनकर उनके साथ गई हुई है।"



      प्रश्न-6  पुत्र की विजय हुई, यह जानकर विराट को कैसा लगा? 

      उत्तर - पुत्र की विजय हुई, यह जानकर विराट, आनंद और अभिमान के मारे फूले न समाए। उन्होंने दूतों को असंख्य रत्न एवं धन पुरस्कार के रूप में देकर खूब आनंद मनाया।

       

      प्रश्न-7 युधिष्ठिर (कंक) द्वारा बार - बार बृहन्नला की चर्चा का क्या परिणाम हुआ?

      उत्तर – युधिष्ठिर (कंक) द्वारा बार - बार बृहन्नला की चर्चा सुनकर विराट झुंझला गए और क्रोध में अपने हाथ का पासा युधिष्ठिर (कंक) के मुँह पर दे मारा। पासे की मार से युधिष्ठिर के मुख पर चोट लग गई और खून बहने लगा।

       

      प्रश्न-8  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर ने क्या किया?

      उत्तर- कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर चकित रह गया। उसे अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं। उसने क्रोध में पूछा- पिता जी, इनको किसने यह पीड़ा पहुँचाई है?" पिता की बात सुनकर उत्तर काँप गया। उत्तर के आग्रह करने पर उन्होंने कंक के पाँव पकड़कर क्षमा याचना की।

       

      प्रश्न-9  युधिष्ठिर ने दूतगण को प्रतिज्ञा की अवधि पूरी होने के विषय में क्या कहा?   

      उत्तर-  युधिष्ठिर ने कहा -"दूतगण शीघ्र ही वापस जाकर दुर्योधन को कहो कि वह पितामह भीष्म और जानकारों से पूछकर इस बात का निश्चय करे कि अर्जुन जब प्रकट हुआ था, तब प्रतिज्ञा की अवधि पूरी हो चुकी थी या नहीं। मेरा यह दावा है कि तैरहवाँ बरस पूरा होने के बाद ही अर्जुन ने धनुष की टंकार की थी।"



      प्रश्न-10  जब अर्जुन ने सभी को अपना असली परिचय दिया तब लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

      उत्तर- जब अर्जुन ने पहले राजा विराट को और बाद में सारी सभा को अपना असली परिचय दिया तब  लोगों के आश्चर्य और आनंद का ठिकाना रहा। सभा में कोलाहल मच गया। राजा विराट का हृदय कृतज्ञता, आनंद और आश्चर्य से तराँगत हो उठा। विराट ने कुछ सोचने के बाद अर्जुन से आग्रह किया कि वो राजकन्या उत्तरा से ब्याह कर लें।

       

      प्रश्न-11  किसने किससे कहा?

      i. “आप राजकुमार की चिंता न करें। बृहन्नला सारथी बनकर उनके साथ गई हुई है।”

      कंक ने राजा विराट से कहा ।

      ii. “देखा राजकुमार का शौर्य? विख्यात कौरव-वीरों को मेरे बेटे ने अकेले ही लड़कर जीत लिया!”

      राजा विराट ने कंक से कहा ।

      iii. “नि:संदेह आपके पुत्र भाग्यवान हैं, नहीं तो बृहन्नला उनकी सारथी बनती ही कैसे?”

      कंक ने राजा विराट से कहा ।

      iv. “कौन था वह वीर? कहाँ है वह? बुला लाओ उसे।”

      राजा विराट ने राजकुमार उत्तर से कहा ।