उत्तर - पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पत्रों के विषय में सन् 1953 में कहा था कि हजारों सालों तक संचार का साधन केवल हरकारे (रनर्स ) या फिर तेज़ घोड़े रहें हैं। उसके बाद पहिए आए। पर रेलवे और तार से भारी बदलाव आया। तार ने रेलों से भी तेज़ गति से संवाद पहुँचाने का सिलसिला शुरू किया। अब टेलीफोन, वायरलैस और रेडार दुनिया बदल रहा है।
उत्तर - PIN यानी कि ‘पोस्टल इंडेक्स नंबर’। पिन कोड एक बहुत ही खास नंबर है, जिस पर हमारी पूरी डाक व्यवस्था निर्भर करती है। 6 नंबरों को मिलाकर तैयार किए गए यह कोड आपके क्षेत्र की पूरी जानकारी देते हैं। इसका हर नंबर किसी खास क्षेत्र के लिए ही तैयार किया गया है। इस प्रकार पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है।
उत्तर - पत्र लेखन की कला को विकसित करने के लिए स्कूली पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी प्रयास किए गए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम सन् 1972 से शुरू किया गया।
उत्तर - पत्रों का अपना अलग महत्व है। पत्रों द्वारा हम अपने मनोभावों को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं लेकिन फ़ोन, एसएमएस द्वारा केवल कामकाजी बातों को संक्षिप्त रूप से व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों को हम अपने सगे-सम्बंधियों की धरोहर के रूप में सहेज कर रख सकते हैं। परन्तु फ़ोन या एस.एम.एस को हम सहेज कर नहीं रख सकते हैं। पत्रों से आत्मीयता झलकती है। इन्हें अनुसंधान का विषय भी बनाया जा सकता है। इन्हें बार बार पढ़ा जा सकता है।
उत्तर - प्रत्येक वस्तु का अपना एक अलग महत्व होता है। फेक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल जैसे तकनीकी माध्यम केवल काम-काज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं। आज ये आवश्यकताओं में आते हैं फिर भी ये पत्र का स्थान नहीं ले सकते हैं। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पर देहाती दुनिया आज भी चिठियों से ही चल रही है। फेक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिठ्ठियों की तेज़ी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उत्तर – सर्वाधिक गुडविल डाक विभाग की ही है क्योंकि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर - घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिठ्ठी - पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलिशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बिच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मछुआरे हों या फिर रेगिस्तान की ढाणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतज़ार होता है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीऑडर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं।
उत्तर – खत – उर्दू
कागद – कन्नड़
उत्तरम् – तेलूगु
जाबू – तेलूगु
लेख – तेलूगु
कडिद – तमिल
पाती – हिन्दी
चिट्ठी – हिन्दी
पत्र - संस्कृत
उत्तर – पुराने समय में लिखे गए पत्र निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं।
i. भारत में आज़ादी के पहले महासंग्राम के दिनों में जो कुछ अंग्रेज़ अफसरों ने अपने परिवारजनों को पत्र में लिखे वे आगे चलकर बहुत महत्व की पुस्तक तक बन गए।
ii. गाँधी जी एवं रवींद्रनाथ टैगोर का पत्राचार संग्रह प्रकाशित हुआ है जिसमें बहुत से नए तथ्यों और उनकी मनोदशा का लेखा - जोखा मिलता है।
iii. पंडित नेहरू ने जो अपनी पुत्री इंद्रा गांधी को जो पत्र लिखे थे, वे देश के करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं।
iv. बड़े - बड़े लेखक, पत्रकारों, उधमी, कवि, प्रशाशक, संन्यासी या किसान, इनकी पत्र रचनाएँ अपने आप में अनुसंधान का विषय हैं।
उत्तर – पत्र लिखित रूप में होते हैं तथा पत्रों में आत्मीयता झलकती है इसलिए इन्हें सहेज कर रखा जाता है। पर एस.एम.एस में केवल कामकाजी बातें की जा सकती हैं इसलिए इन्हें लोग जल्दी ही भूल जाते हैं। एस.एम.एस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है। परन्तु पत्रों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती है। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं। तमाम महान हस्तियों की तो सबसे बड़ी यादगार या धरोहर उनके द्वारा लिखे गए पत्र ही हैं। भारत में इस श्रेणी में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को सबसे आगे रखा जा सकता है। दुनिया के तमाम संग्रहालय जानी मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी हैं। तमाम पत्र देश, काल और समाज को जानने - समझने का असली पैमाना हैं।