उत्तर - झील
उत्तर – वृद्धावस्था
उत्तर - पाँच
उत्तर – पाठ 'बस की यात्रा' के लेखक हरिशंकर परसाई जी हैं।
उत्तर - रंक - गरीब, निमित्त - कारण, साधन, लक्ष्य
उत्तर - पेट्रोल की टंकी में छेद होने के कारण पहली बार बस रुकी।
उत्तर - कंपनी के हिस्सेदार ने बस के लिए कहा - बस तो फर्स्ट क्लास है जी !
उत्तर - लेखक के अनुसार देवता बाँहें पसारकर कंपनी के हिस्सेदार का स्वागत करते।
उत्तर - 'बच' शब्द के दो भिन्न अर्थ है - शेष रहना, सावधान रहना
उत्तर - लोगों ने बस को 'डाकिन' कहा क्योंकि इस बस से यात्रा करने वाले लोगों का सुख - चैन लुट जाता है।
उत्तर – इंजन स्टार्ट होने पर लेखक को लगा कि जैसे सारी बस ही इंजन है और वह इंजन के अंदर बैठा है।
उत्तर - लेखक और उसके दोस्त खिड़की से दूर सरककर इसलिए बैठ गए ताकि खिड़की के काँच टूटकर उन्हें चोटिल न कर दें।
उत्तर - विदा करने आए लोगों की प्रतिक्रिया देखकर लेखक को लगा कि जैसे वह मरने के लिए जा रहा हो और लोग उसे अंतिम विदाई देने आए हों।
उत्तर - पाँचों मित्रों ने शाम वाली बस से जाने का निश्चय इसलिए किया ताकि लेखक और उसके मित्र जबलपुर की ट्रैन पकड़कर सुबह अपने गंतव्य तक पहुँच सके।
उत्तर - ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ महात्मा गाँधी के नेतृत्व में १९३० में अंग्रेज़ी सरकार से असहयोग करने तथा पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए किया गया था।
उत्तर – बस पुरानी और खटारा थी, उसकी हेडलाइटों की रोशनी भी कम थी। इसलिए वह आगे - पीछे से किसी गाड़ी को आता देख बस एकदम किनारे खड़ी हो जाती थी।
उत्तर – इस कथन का आशय यह है कि मनुष्य को इस संसार को त्यागने अर्थात मरने के लिए एक साधन की आवश्यकता होती है। यहाँ वह साधन बस है जिसमें कि लेखक और उसके मित्र यात्रा कर रहे हैं।
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