उत्तर - मशीनी युग के कारण बदलू का सुखी जीवन दुःख में बदल गया था। गाँव की सभी स्त्रियाँ काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थी। बदलू की कला को अब कोई महत्व नहीं देता था। उसकी चूड़ियों की माँग अब नहीं रही थी। उसका व्यवसाय ठप पड़ गया था। शादी ब्याह से मिलने वाला अनाज, कपडे तथा अन्य उपहार उसे अब नहीं मिलते थे। उसकी आर्थिक हालत बिगड़ गई जिससे उसके स्वास्थ पर भी बुरा असर पड़ा।
उत्तर - उम्र - उमर
मर्द - मरद
भैया - भइया
ग्राम - गाँव
उत्तर - (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – बदलू, बेलन, मचिया, मामा, जमींदार, बदलू ।
(ख) जातिवाचक संज्ञा – आदमी, मकान, शहर, स्त्रियों, बेटी, बच्चे, चूड़ियों, चारपाई ।
(ग) भाववाचक संज्ञा – स्वभाव, रूचि, व्यथा, प्रसन्नता, शांति, बीमार।
उत्तर - बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। मकान के पास एक बड़ा सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे बैठ कर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता। सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकर देता। पास में चार - छह विभिन्न आकार की बेलननुमा मुँगेरियाँ रखी रहतीं। लाख की चूड़ी का आकार देकर वह उन्हें मुँगेरियों पर चढ़ाकर गोल और चिकना बनता और फिर उनमें रंग करता।