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      लाख की चूड़ियाँ

      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-30   मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?

      उत्तर -  मशीनी युग के कारण बदलू का सुखी जीवन दुःख में बदल गया था। गाँव की सभी स्त्रियाँ काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थी। बदलू की कला को अब कोई महत्व नहीं देता था। उसकी चूड़ियों की माँग अब नहीं रही थी। उसका व्यवसाय ठप पड़ गया था। शादी ब्याह से मिलने वाला अनाज, कपडे तथा अन्य उपहार उसे अब नहीं मिलते थे। उसकी आर्थिक हालत बिगड़ गई जिससे उसके स्वास्थ पर भी बुरा असर पड़ा।

       

      प्रश्न-31   गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।

      उत्तर -  उम्र - उमर

      मर्द - मरद

      भैया - भइया

      ग्राम - गाँव 



      प्रश्न-32   ‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है –
      (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे – लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि
      (ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे – चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
      (ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे – सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।

      उत्तर -  () व्यक्तिवाचक संज्ञाबदलू,  बेलन,  मचिया, मामा, जमींदार, बदलू ।

      () जातिवाचक संज्ञाआदमी, मकान, शहर, स्त्रियों, बेटी, बच्चे, चूड़ियों, चारपाई ।

      () भाववाचक संज्ञास्वभाव, रूचि, व्यथा, प्रसन्नता, शांति, बीमार।

       

      प्रश्न-33   बदलू के घर और उसके आस पास के दृश्य का वर्णन संक्षेप में कीजिए। 

      उत्तर - बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। मकान के पास एक बड़ा सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे  बैठ कर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता। सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकर देता। पास में चार - छह विभिन्न आकार की बेलननुमा  मुँगेरियाँ रखी रहतीं। लाख की चूड़ी का आकार देकर वह उन्हें मुँगेरियों पर चढ़ाकर गोल और चिकना बनता और फिर उनमें रंग करता। 


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