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    • टोपी

      प्रश्न / उत्तर

       

      प्रश्न-1 कहानी 'टोपी' के लेखक कौन हैं?

      उत्तर – कहानी 'टोपी' के लेखक सृंजय जी हैं।

       

      प्रश्न-2 गवरइया जब राजा के महल गई तब राजा क्या कर रहा था?

      उत्तर – गवरइया जब राजा के महल गई तब राजा मालिश करवा रहा था।

       

      प्रश्न-3 जब गवरइया धुनिया के पास गई तब वह क्या कर रहा था?

      उत्तर – जब गवरइया धुनिया के पास गई तब वह राजा के लिए रजाई बनाने के काम में व्यस्त था।



      प्रश्न-4 गवरइया ने धुनिया को मज़दूरी के रूप में क्या देने की बात कही?

      उत्तर – गवरइया ने धुनिया को मज़दूरी के रूप में रुई का आधा हिस्सा देने की बात कही।

       

      प्रश्न-5 राजा के महल के आस - पास लोग क्यों इकठ्ठा हो गए थे?

      उत्तर – राजा के महल के आस - पास लोग इकठ्ठा हो गए थे क्योंकि गवरइया राजा की हरकतों का पर्दाफाश कर रही थी।

       

      प्रश्न-6 वहाँ का राजा कैसा था?

      उत्तर – वहाँ का राजा अपने पद का गलत प्रयोग करता था। वह मज़दूर और असहाय लोगों को उनकी मेहनत का पूरा पारिश्रमिक नहीं देता था।

       

      प्रश्न-7 धुनिया की आर्थिक स्तिथि कैसी थी?

      उत्तर – धुनिया गरीब, लाचार और बूढ़ा व्यक्ति था। इतनी सर्दी में भी उसके पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं थे। उसे उसकी मेहनत का उचित फल प्राप्त नहीं होता था।

       

      प्रश्न-8 गवरइया राजा के महल में जाकर क्या रटने लगी?

      उत्तर – गवरइया राजा के महल में जाकर रटने लगी "मेरे सिर पर टोपी, राजा के सिर पर टोपी नहीं।" पर राजा ने टोपी मँगवा ली तो वह फिर रटने लगी "मेरी टोपी में पाँच फुँदने, राजा की टोपी में फुँदने नहीं।



      प्रश्न-9 चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा धागा बून रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

      उत्तर – चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम इसलिए किया क्योंकि गवरइया ने उन्हें उनके श्रम का उचित मुल्य दिया था।

       

      प्रश्न-10 मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे – कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

      उत्तर – टोपी उछलना - बेइज्ज्ती होना

      टोपी से ढ़ँक लेना - इज्ज़त ढ़क लेना

      टोपी कसकर पकड़ना - सम्मान बचना

       

      प्रश्न-11 यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता? 

      उत्तर – यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब उन कारीगरों का व्यवहार सामान्य होता। गवरइया का कार्य पूरा करने से पहले कारीगर राजा का कार्य पूरा करते और राजा का काम पूरा होने तक गवरइया को इंतजार करना पड़ता।



      प्रश्न-12 गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

      उत्तर – दर्जी राजा और उसके सेवकों के कपड़े सिलता था जो उसे बेगार करवाते थे। लेकिन गवरइया ने अपनी टोपी सिलवाने के बदले में दर्जी को मजदूरी स्वरूप आधा कपड़ा दिया। आज तक दर्जी को मेहनत करने के लिए किसी ने इतनी मज़दुरी नहीं दी थी। इसलिए दर्जी ने खुश होकर गवरइया की टोपी पर पाँच फुँदने जड़ दिए।

       

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