उत्तर – 'अकबरी लोटा' पाठ के लेखक अन्नपूर्णानंद वर्मा जी हैं।
उत्तर – अंग्रेज़ व्यक्ति ने लोटा पाँच सौ रूपए में खरीदा।
उत्तर – न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की थी।
उत्तर – जब अंग्रेज़ व्यक्ति पर लोटा गिरा तब वह एक दुकान से पीतल की कुछ पुरानी मूर्तियाँ खरीद रहा था।
उत्तर – गली में ज़ोर का हल्ला इसलिए हो रहा था क्योंकि लाला जी के हाथ से जल का भरा हुआ लोटा छूट कर नीचे किसी व्यक्ति के पैर पर गिर गया था।
उत्तर – गले से चाबी निकालते समय यदि बिलवासी जी की पत्नी जग जाती तो अपनी पत्नी के समक्ष उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता।
उत्तर – यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए पैसे लाला झाऊलाल को देने पड़ते। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नि को पैसे नहीं दे पाते।
उत्तर – अगर बिलवासी जी लाला जी की मदद नहीं करते तब भी किसी न किसी तरह लाला जी रुपयों का इंतज़ाम जरूर करते क्योंकि यह उनकी प्रतिष्ठा का सवाल था।
उत्तर – बिलवासी जी ने अपनी पत्नी के गले से सिकड़ी इसलिए निकाली क्योंकि उसमें लगी ताली से वह संदूक खोलना चाहते थे ताकि ढाई सौ रूपये वापस रख सकें।
उत्तर – यदि बिलवासी की योज़ना अंग्रेज़ को पता चल जाती तो लाला जी की पत्नी के लिए रुपयों का प्रबंध नहीं हो पाता और अंग्रेज़ उन दोनों को धोखा देने के आरोप में जेल भी भिजवा सकता था।
उत्तर – बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया था। परन्तु समस्या का हल निकल जाने पर उन्होंने वे ढाई सौ के नोट ज्यों - के - त्यों वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिए थे।
उत्तर – बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह गलत था। "बिलवासी" जी ने अपने मित्र "लाला झाऊलाल” की सहायता करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से रूपए चुराए थे और एक अंग्रेज़ से झूठ बोलकर रूपयों का प्रंबध किया था।
उत्तर – यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता तो यह एक पुलिस केस बन जाता और लाला जी पर कार्यवाही हो सकती थी। यही नहीं, इसके लिए उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ सकता था। दोनों ही परिस्थितियों में लाला झाऊलाल अपनी पत्नी को दिया हुआ वचन निभाने में असमर्थ होते।