उत्तर – 'जब सिनेमा ने बोलना सीखा' पाठ के लेखक प्रदीप तिवारी जी हैं।
उत्तर – विट्ठल मराठी और हिंदी भाषाओं की फिल्मों में नायक थे।
उत्तर – 'आलम आरा' का संगीत डिस्क फॉर्म में रिकॉर्ड नहीं किया गया।
उत्तर – विट्ठल के मुकदमा लड़ने वाले वकील का नाम मोहम्मद अली जिन्ना था।
उत्तर – मुकदमा जीतने से विट्ठल पहली बोलती फिल्म में नायक बने।
उत्तर - यह फिल्म 14 मार्च 1931 को मुंबई के 'मैजेस्टिक' सिनेमा में प्रदर्शित हुई।
उत्तर – विट्ठल फिल्मों में लम्बे समय तक नायक और स्टंटमैन के रूप में सक्रिय रहे।
उत्तर – अर्देशिर की कंपनी ने भारतीय सिनेमा के लिए डेढ़ सौ से अधिक मूक और लगभग सौ सवाक फिल्में बनाईं।
उत्तर – पाठ में लेखक ने 'आलम आरा' की तुलना 'अरेबियन नाइट्स' नामक फैंटसी फिल्म से की है।
उत्तर – सवाक फिल्मों के लिए पौराणिक कथाओं, पारसी रंगमंच के नाटकों, अरबी प्रेम कथाओं को विषय के रूप में चुना गया।
उत्तर – 'खुदा की शान' सामाजिक विषय पर बनी पहली फिल्म थी। इसका एक किरदार महात्मा गांधी जैसा था।
उत्तर - फिल्म के संगीत में महज तीन वाद्य - तबला, हारमोनियम और वायलिन का इस्तेमाल किया गया।
उत्तर – 14 मार्च 1931 को पहली सवाक फिल्म का प्रदर्शन हुआ था इसलिए इस दिन का भारतीय सिनेमा के इतिहास में महत्व है।
उत्तर – फिल्म 'आलम आरा' में विट्ठल के अलावा सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर, याकूब और जगदीश सेठी जैसे अभिनेता ने काम किया।
उत्तर – सवाक सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता - निर्देशक अर्देशिर को 'भारतीय सवाक फिल्मों का पिता' कहा गया।
उत्तर – पहली बोलती फिल्म बनाने के लिए अर्देशिर को सवांद लेखक, गीतकार एवं संगीतकार जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों के आभाव का सामना करना पड़ा।