उत्तर - अगर बच्चों को बचपन से अपना कार्य स्वयं करने की सीख दी जाए तो बड़े होकर बच्चे माता-पिता के बहुत बड़े सहयोगी हो सकते हैं। वह अगर अपने आप स्कूल के लिए तैयार हो जाएँ, अपने जूते पालिश कर लें, अपने खाने के बर्तन यथा सम्भव स्थान पर रख आएँ, अपने कमरे को सहज कर रखें तो माता-पिता का बहुत सहयोग कर सकते हैं। यदि हम बच्चों को उनका कार्य करने की सीख नहीं देते तो वह सहयोग के स्थान पर माता-पिता के लिए भार ही साबित होंगे। उनके बड़ा होने पर उनसे कोई कार्य कराया जाएगा तो वह उस कार्य को भली-भांति करने के स्थान पर तहस-नहस ही कर देंगे, जैसे की कामचोर लेख पर बच्चों ने सारे घर का हाल कर दिया था। इसलिए माता-पिता को बच्चों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए।
उत्तर - कामचोर कहानी सयुंक्त परिवार की कहानी है इन दोनों में अन्तर इस प्रकार है –
एकल परिवार
i. एकल परिवार में सदस्यों की संख्या तीन से चार होती है – माँ, पिता व बच्चे होते है।
ii. एकल परिवार में सारा कार्य स्वयं करना पड़ता है।
iii. एकल परिवार में जीवन के सुख-दुख का अकेले सामना करना पड़ता है।
संयुक्त परिवार
i. सयुंक्त परिवार में सदस्यों की संख्या ज़्यादा होती है क्योंकि इसमें चाचा-चाची ताऊजी-ताईजी, माँ-पिताजी, बच्चे सभी सम्मिलित होते हैं।
ii. संयुक्त परिवार में सबलोग मिल-जुलकर कार्य करते हैं।
iii. सयुंक्त परिवार में सारे सदस्य मिलकर जीवन के सुख-दुख का सामना करते है।