उत्तर - घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक है क्योंकि जब कोई व्यक्ति अपनी शक्ति और क्षमता के मुताबिक काम करता है तो वो काम सफल और सुख देने वाला होता है। यदि हम अपने घर का काम या अपना निजी काम, नहीं करेंगे तो हम कामचोर बन जाएँगे। हमें अपने कामों के लिए आत्मनिर्भर रहना चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपने काम के साथ-साथ दूसरों के काम में भी मदद करें।
उत्तर – अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने को कहा तब उन्होंने इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस कर दिया। सारे घर का हूलिया ही बदल डाला था। काम कम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। इसका परिणाम यह हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली। अगर किसी ने घर का काम किया तो उसे रात का खाना नहीं दिया जाएगा।
उत्तर – भेड़ें भूखी थीं इसलिए दाने का सूप देखते ही सबके सब झपट पड़ी। तख्तों पर चढ़ी और पलंगों पर फलांगती हुई सब कुछ रौंदती हुई मेंगनों का छिड़काव करती हुई दौड़ गई। ऐसा लगा जैसे जर्मनी की सेना टैंकों और बमबारों सहित उधर से छापा मारकर गुजर गई हो। जहाँ - जहाँ से सूप गुजरा, भेड़ें शिकारी कुत्तों की तरह गंध सूँघती हुई हमला करती गईं। बानी दीदी का दुपट्टा रौंदा गया। सोती हुई हज्जन माँ के ऊपर से पूरी फौज ही निकल गई। भेड़ें तरकारी वाली की तरकारियाँ देखते ही देखते चट्ट कर गई।
उत्तर – बच्चों ने भैंसों का दूध दुहने के लिए तय किया कि भैंस की अगाड़ी - पिछाड़ी बाँध दी जाए और फिर काबू में लाकर दूध दुह लिया जाए। पिछले दो पैर चाचा जी की चारपाई के पायों से बाँध, अगले दो पैरों को बाँधने की कोशिश जारी थी कि भैंस चौकन्नी हो गई। छूटकर जो भागी तो पहले चाचा जी समझे कि शायद कोई सपना देख रहें हैं। फिर जब चारपाई पानी के ड्रम से टकराई और पानी छलककर गिरा तो वह भीग गए। फिर जल्दी ही उन्हें सब कुछ समझ आ गया और बच्चों को छोड़ देनेवालों को बुरा - भला सुनाने लगे।
उत्तर - बच्चों के ऊधम मचाने से घर अस्त-व्यस्त हो गया था। कालीन को झाड़ते वक्त पूरे घर में धूल भर दी गई थी। झाड़ू टूट चुकी थी और उसकी सींके गायब थीं। चारों तरफ टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे बिखरे पड़े थे। घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए थे। सारे घर में मुर्गियाँ ही मुर्गियाँ थीं। भेड़ें इधर - उधर दौड़ रही थीं। चाचा बेचारे तो जैसे अपनी जान बचा ही पाए थे। तरकारी वाली तो अपनी तरकारी खराब होने का मातम रो-रोकर माना रही थी। यहाँ तक कि बच्चों को नहलाने धुलाने के लिए नौकरों को पैसे देने पड़े। इन सब के कारण पारिवारिक शांति भी भंग हो गई थी। अम्मा ने तो घर छोड़ने तक का फैसला ले लिया था।
उत्तर - यदि सारा-परिवार मिल जुलकर कार्य करे तो घर को सुखद बनाया जा सकता है। कामों के क्षमतानुसार विभाजित करने से कहानी जैसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता है। कार्यों को बाँटने से किसी दूसरे को काम करने के लिए कहने की जरुरत नहीं होगी और तनाव भी उत्पन्न नहीं होगा। इससे सारे घर में आपसी प्रेम का विकास होगा और खुशहाली ही खुशहाली होगी। इसके विपरीत यदि घर के सदस्य घर के कामों के प्रति बेरूखा व्यवहार रखेंगे और किसी भी काम में हाथ नहीं बटाएँगे तो सारे घर में अशांति ही फैलेगी, घर के सभी सदस्य कामचोर बन जाएँगे और अपने कामों के लिए सदैव दूसरों पर निर्भर रहेंगे । इसलिए चाहिए कि बचपन से ही बच्चों को उनके काम स्वयं करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर और ज़िम्मेदार व्यक्ति बन सकें।