उत्तर – 'कामचोर' कहानी के लेखक इस्मत चुगताई जी हैं।
उत्तर – बच्चे सारा दिन उधम मचाने के अलावा कुछ नहीं करते थे।
उत्तर – दरी पर पानी डालने का यह नतीजा हुआ कि सारी धूल कीचड़ बन गई।
उत्तर – कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलाने के लिए पास के बंगलों से नौकर बुलाए गए।
उत्तर – भेड़ों को मारने पर ऐसा लगता है जैसे रुई के तकिए को कूट रहें हो। भेड़ को चोट ही नहीं लगती।
उत्तर – बड़ी देर के बाद विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए।
उत्तर – अब्बा का शाही फरमान था कि जो काम नहीं करेगा, उसे रात का खाना हरगिज नहीं मिलेगा।
उत्तर – बच्चों ने अंत में निश्चय किया कि अब चाहे कुछ भी हो हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।
उत्तर - झाड़ू देने से पहले जरा - सा पानी छिड़क देना इसलिए अच्छा होता है क्योंकि ऐसा करने से धूल नहीं उड़ती है।
उत्तर – अब्बा मिया ने बच्चों को दरी साफ करना, आँगन में पड़ा कूड़ा फेकना और पौधों में पानी डालना जैसे कुछ काम बताए।
उत्तर - कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे सारे दिन खेलते-कूदते रहते थे परन्तु घर के कामकाज में ज़रा सी भी मदद नहीं करते थे।
उत्तर – घर के काम में सहयोग व स्वंय काम करने की आदत बच्चों में विकसित करने की उद्देश्य से अब्बा ने बच्चों को ऐसा कहा।
उत्तर – एक बड़ा सा मुर्गा अम्मा के खुले पानदान में कूद पड़ा और कत्थे - चूने में लुथड़े हुए पंजे लेकर नानी अम्मा के सफ़ेद दूध जैसी चादर पर छापे माड़ता हुआ निकल गया।
उत्तर – पेड़ में पानी डालने के लिए घर की बालटियाँ, लोटे, तसले, भगोने, पतीलियाँ लूट ली गई। जिन्हें ये चीजें भी न मिली, वे डोंगे - कटोरे और गिलास ही ले भागे।
उत्तर – कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलवाने के लिए नौकरों की वर्तमान संख्या काफी नहीं थी इसलिए पास के बंगलों से नौकर आए और चार आना प्रति बच्चा के हिसाब से नहलवाए गए।