उत्तर – "आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” मैं इस कथन से पूरी तरह सहमत हूँ और उपरोक्त कथन पूरी तरह से सही भी है। आदर्श अर्थात अच्छी आदतें या बातें। जैसे - सच बोलना, धोखा न देना, अपशब्दों का प्रयोग न करना आदि। किन्तु जीवन में छोटी सी परेशानी अथवा कठिनाई के आने पर हम आदर्शो को भूल कर सरलता से मिलने वाले समाधान की ओर आकर्षित हो जाते हैं तथा उसी ओर बढ़ जाते हैं।
उत्तर – उपरोक्त कथन लेखक के भारतवर्ष के प्रति अच्छे विचारों का प्रतीक है। निरंतर बुराईयों के बीच घिरे रहने के पश्चात भी लेखक निराश नहीं होते बल्कि अपने जीवन में घटने वाली सच्ची और अच्छी घटनाओं से आशान्वित होकर वे ऐसा मानते हैं कि मेरे भारतवर्ष से महानता, सच्चाई और अच्छाई अभी पूरी तरह से नष्ट नहीं हुई है। अभी भी भारत वर्ष में सच्चे, ईमानदार व्यक्तियों के कारण सच्चाई और अच्छाई जैसे गुण विद्यमान हैं जो की हमारे भारतवर्ष को महान बनाने में सहायक होंगे।
उत्तर – टीवी चैनल व समाचार पत्रों द्वारा जो ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ किया जा रहा है वो पहले किसी सीमा तक सही हुआ करता था। परन्तु, आज टीवी चैनलों और समाचार पत्रों की भरमार के कारण उनके बीच में जनमें श्रेष्ठ-दिखाने-की-होड़ ने इसे धंधा बना दिया है। इससे लोग दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ़ से दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं। इस बात को तनिक भी नहीं सोचते कि इससे किसी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। समाचार पत्र और चैनल सिर्फ अपनी T.R.P. का ही ध्यान रखते हैं। सच तो जैसे कुछ होता ही नहीं है।
उत्तर - मेरे मन! निराश होने की ज़रूरत नहीं।' यह पंक्ति ' क्या निराश हुआ जाए 'पाठ के लेखक 'श्री हजारी प्रसाद दिववेदी जी' ने कही है। उनका मानना है कि जीवन में चाहे हमें निरंतर दोखा मिले अथवा हमारे समाज में चरों ओर दोषों और आरोपों का अंबार लगा क्यों न हो परन्तु हमारे जीवन में घटित होने वाली कुछ अच्छी घटनाएँ हमें यह मानने पर मजबूर करती हैं कि अभी निराश होने की ज़रूरत नहीं। इस पंक्ति को लेखक ने अपने जीवन में घटी दो घटनाओं का उदाहरण देकर सत्य साबित किया है। पहला टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना और दूसरा बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना।
उत्तर - सुख और दुख - सुख-दुख
भूख और प्यास - भूख-प्यास
हँसना और रोना - हँसना-रोना
आते और जाते - आते-जाते
राजा और रानी - राजा-रानी
चाचा और चाची - चाचा-चाची
सच्चा और झूठा - सच्चा-झूठा
पाना और खोना - पाना-खोना
पाप और पुण्य - पाप-पुण्य
स्त्री और पुरूष - स्त्री-पुरूष
राम और सीता - राम-सीता
आना और जाना - आना-जाना