पांडवो और कौरवों के सेनापति
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प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 कौरवों की सेना के नायक कौन थे?
उत्तर - कौरवों की सेना के नायक भीष्म पितामह थे ।
प्रश्न-2 किसे पांडवों की सेना का नायक बनाया गया?
उत्तर – वीर कुमार धृष्टद्युम्न को पांडवों की सेना का नायक बनाया गया।
प्रश्न-3 रुक्मी के अपमानित होने का कारण क्या था?
उत्तर - रुक्मी कर्तव्य से प्रेरित होकर नहीं, बल्कि अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के उद्देश्य से कुरुक्षेत्र गया और अपमानित हुआ।
प्रश्न-4 युद्ध के समय कौन-कौन से राजा युद्ध में सम्मिलित नहीं हुए और तटस्थ रहे?
उत्तर- युद्ध के समय सारे भारतवर्ष में दो ही राजा युद्ध में सम्मिलित नहीं हुए और तटस्थ रहे-एक बलराम और दूसरे भोजकट के राजा रुक्मी।
प्रश्न-5 पांडवों की विशाल सेना को कितने हिस्सों में बाँटा गया?
उत्तर – पांडवों की विशाल सेना को सात हिस्सों में बाँटा गया। द्रुपद, विराट, धृष्टद्युम्न, शिखंडी, सात्यकि, चेकितान, भीमसेन आदि सात महारथी इन सात दलों के नायक बने।
प्रश्न-6 युद्ध को लेकर कर्ण की क्या हठ थी?
उत्तर- कर्ण की हठ थी कि जब तक भीष्म जीवित रहेंगे, तब तक वह युद्ध-भूमि में प्रवेश नहीं करेगा। भीष्म के मारे जाने के बाद ही वह लड़ाई में भाग लेगा और केवल अर्जुन को ही मारेगा।
प्रश्न-7 कौरवों की सेना की व्यूह-रचना देखकर युधिष्ठिर ने अर्जुन को क्या कहा?
उत्तर- कौरवों की सेना की व्यूह-रचना देखकर युधिष्ठिर ने अर्जुन को आज्ञा दी–“एक जगह सब वीरों को इकट्टे रहकर लड़ना होगा। अतः सेना को सूची-मुख (सूई की नोंक के समान) व्यूह में सज्जित करो।"
प्रश्न-8 रुक्मी किस मनसा से पांडवों की सहायता के लिए गए?
उत्तर- कुरुक्षेत्र में होनेवाले युद्ध के समाचार सुनकर रुक्मी ने सोचा कि यह अवसर वासुदेव की मित्रता प्राप्त कर लेने के लिए ठीक होगा। इसलिए वह पांडवों के पास उनकी सहायता का प्रस्ताव ले कर गए।
प्रश्न-9 रुक्मी को अपमानित होकर भोजकट क्यों लौटना पड़ा?
उत्तर – कुरुक्षेत्र में होनेवाले युद्ध के समाचार सुनकर रुक्मी ने सोचा कि यह अवसर वासुदेव की मित्रता प्राप्त कर लेने के लिए ठीक होगा। इसलिए वह पांडवों के पास उनकी सहायता का प्रस्ताव ले कर गए। इस पर अर्जुन ने रुक्मी से बोला "राजन्! आप बिना शर्त के सहायता करना चाहते हैं, तो आपका स्वागत है। नहीं तो आपकी जैसी इच्छा।" यह सुनकर रुक्मी क्रोध में अपनी सेना लेकर दुर्योधन के पास गया और उससे कहा "पांडव मेरी मदद नहीं चाहते हैं। इस कारण मैं आपकी सहायता हेतु आया हूँ।" परन्तु दुर्योधन ने कहा "पांडवों ने जिसकी सहायता स्वीकार नहीं की, हमें उसकी सहायता स्वीकार करने की ज़रूरत नहीं है।" इस प्रकार रुक्मी दोनों तरफ़ से अपमानित होकर भोजकट वापस लौट गए ।