पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार
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प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से अपनी इच्छा के बारे में क्या बताया?
उत्तर – धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से कहा कि वंश की परंपरागत प्रथा के अनुसार वे वल्कल धारण करके वन में जाना चाहते हैं।
प्रश्न-2 युधिष्ठिर से वन में जाने की अनुमति पाकर कौन-कौन वन के लिए रवाना हुए?
उत्तर - युधिष्ठिर से वन में जाने की अनुमति पाकर वृद्ध राजा धृतराष्ट्र, गांधारी और माता कुंती वन के लिए रवाना हुए।
प्रश्न-3 माता कुंती को वन जाते देख युधिष्ठिर क्या बोले?
उत्तर – युधिष्ठिर बोले–माँ, तुम वन में क्यों जा रही हो? तुम्हारा जाना तो ठीक नहीं है। तुम्ही ने आशीर्वाद देकर युद्ध के लिए भेजा था। अब तुम्हीं हमें छोड़कर वन को जाने लगीं। यह ठीक नहीं है।"
प्रश्न-4 राजा धृतराष्ट्र, गांधारी और माता कुंती वन किस तरह जा रहे थे?
उत्तर – वृद्ध राजा धृतराष्ट्र गांधारी के कंधे पर हाथ रखकर लाठी टेकते हुए और गांधारी कुंती के कंधे पर हाथ रखकर रास्ता टटोलती हुई जा रही थी। इस तरह तीनों वृद्ध राजकुटुंबी राजधानी की सीमा पारकर वन की ओर जा रहे थे।
प्रश्न-5 धृतराष्ट्र की इच्छा जानने के बाद युधिष्ठिर ने क्या कहा?
उत्तर – धृतराष्ट्र की बातें सुनकर युधिष्ठिर बहुत खिन्न हुए और भरे हुए हृदय से बोले-“अब मैंने तय किया है कि आज से आपका ही पुत्र युयुत्सु राजगद्दी पर बैठे या जिसे आप चाहें राजा बना दें। अथवा शासन की बागडोर स्वयं अपने हाथों में ले लें और प्रजा का पालन करें। मैं वन में चला जाऊँगा। राजा मैं नहीं बल्कि आप ही हैं। मैं ऐसी हालत में आपको अनुमति कैसे दे सकता हूँ?"
प्रश्न-6 जब युधिष्ठिर ने वन जाने की बात बोली तब धृतराष्ट्र ने क्या कहा?
उत्तर- धृतराष्ट्र बोले-“कुंती-पुत्र! मेरे मन में वन में जाकर तपस्या करने की इच्छा बड़ी प्रबल हो रही है। तुम्हारे साथ मैं इतने बरसों तक सुखपूर्वक रहा और तुम और तुम्हारे भाई सभी मेरी सेवा-सुश्रूषा करते रहे। वन में जाने का मेरा ही समय है, तुम्हारा नहीं। इस कारण वन में जाने की अनुमति तुम्हें देने का सवाल ही नहीं उठता। यह अनुमति तो तुमको देनी ही होगी।"
प्रश्न-7 धृतराष्ट्र को अपने पुत्रों का अभाव महसूस न हो उसके लिए युधिष्ठिर ने क्या किया?
उत्तर – युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को आज्ञा दे रखी थी कि पुत्रों के बिछोह से दुखी राजा धृतराष्ट्र को किसी भी तरह की व्यथा न पहुँचने पाए। सिवाए भीमसेन के सब पांडव युधिष्ठिर के ही आदेशानुसार व्यवहार करते थे। पांडव वृद्ध धृतराष्ट्र का खूब आदर करते हुए उन्हें हर प्रकार का सुख एवं सुविधा पहुँचाने के प्रयत्न में लगे रहते थे, जिससे धृतराष्ट्र को अपने पुत्रों का अभाव महसूस न हो।