अश्वत्थामा
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प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पांडवों का एक मात्र चिन्ह कौन रह गया था?
उत्तर – पांडवों का एक मात्र चिन्ह उत्तरा का पुत्र परीक्षित रह गया था।
प्रश्न-2 परीक्षित किसका पुत्र था?
उत्तर – परीक्षित उत्तरा और अभिमन्यु का पुत्र था।
प्रश्न-3 मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने कौरव-सेना का सेनापति किसे बनाया?
उत्तर – मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने आसपास खड़े हुए लोगों से कहकर अश्वत्थामा को कौरव-सेना का विधिवत् सेनापति बनाया।
प्रश्न-4 शोक-विह्वल द्रौपदी ने युधिष्ठिर से क्या कहा?
उत्तर – युधिष्ठिर के पास आकर द्रौपदी ने कहा -"क्या इस पापी अश्वत्थामा से बदला लेनेवाला हमारे यहाँ कोई नहीं रहा है?"
प्रश्न-5 मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन के सामने अश्वत्थामा ने क्या प्रतिज्ञा की?
उत्तर – मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन के सामने अश्वत्थामा ने दृढ़तापूर्वक प्रतिज्ञा की कि वह आज ही रात में पांडवों को नष्ट करके रहेगा।
प्रश्न-6 अश्वथामा कौन था और उसने पांडवों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा क्यों ली?
उत्तर – अश्वथामा द्रोणाचार्य का पुत्र था। उसने पांडवों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा इसलिए ली थी क्योंकि पांडवों ने कुचक्र रच कर उसके पिता द्रोणाचार्य का वध किया था।
प्रश्न-7 मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने अश्वत्थामा से क्या कहा?
उत्तर- मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने अश्वत्थामा से बोला - "आचार्य-पुत्र! शायद मेरा यह अंतिम कार्य है। शायद आप ही मुझे शांति दिला सकें। मैं बड़ी आशा से आपकी राह देखता रहूँगा।"?
प्रश्न-8 पांडव वीरों के मारे जाने पर दुर्योधन ने अश्वत्थामा से क्या कहा?
उत्तर - पांडव वीरों के मारे जाने पर दुर्योधन बहुत प्रसन्न हुआ और अश्वत्थामा से बोला-"गुरु भाई अश्वत्थामा, आपने मेरी खातिर वह काम किया है, जो न भीष्म पितामह से हुआ और न जिसे महावीर कर्ण ही कर सके।”
प्रश्न-9 अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर – अश्वत्थामा ने सोचा -“मैं इन पांडवों और पिता जी की हत्या करनेवाले धृष्टद्युम्न को उनके संगी-साथियों समेत एक साथ ही क्यों न मार डालूं? अभी रात का समय है और वे सब अपने शिविरों में पड़े सो रहे होंगे। इस समय उन सबका वध कर डालना बहुत सुगम होगा।'
प्रश्न-10 अश्वत्थामा द्वारा शिविर में किए गए अत्याचार का वर्णन कीजिए?
उत्तर – अश्वत्थामा पहले धृष्टद्युम्न के शिविर में घुसा और उसने सोए हुए धृष्टद्युम्न को पैरों तले ऐसा कुचला कि वह तत्काल ही मर गया। इसी प्रकार सभी पांचाल-वीरों को अश्वत्थामा ने कुचलकर भयानक ढंग से मार डाला और द्रौपदी के पुत्रों की भी एक-एक करके हत्या कर दी। कृपाचार्य और कृतवर्मा ने भी इस हत्याकांड में अश्वत्थामा का हाथ बँटाया। उन्होंने वहाँ शिविरों में आग लगा दी। इससे सोए हुए सारे सैनिक जाग गए और भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। उन सबको अश्वत्थामा ने बड़ी निदर्यता से मार डाला।