अभिमन्यु
(Page 79)
(Page 81)
Image from NCERT book
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह किसने तोड़ा?
उत्तर – द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह अभिमन्यु ने तोड़ा।
प्रश्न-2 तेरहवें दिन अर्जुन को युद्ध के लिए किसने ललकारा?
उत्तर- तेरहवें दिन संशप्तकों (त्रिगर्ता) ने अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा।
प्रश्न-3 तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ किस दिशा की ओर चले गए?
उत्तर – तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ दक्षिण दिशा की ओर चले गए।
प्रश्न-4 द्रोण ने कर्ण को अभिमन्यु पर हमला करने का कौन सा उपाय बताया?
उत्तर – द्रोण ने कर्ण के पास आकर कहा-"इसका कवच भेदा नहीं जा सकता। ठीक से निशाना साधकर इसके रथ के घोड़ों की रास काट डालो और पीछे की ओर से इस पर अस्त्र चलाओ।”
प्रश्न-5 अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से चक्रव्यूह भेदने के बारे में क्या कहा?
उत्तर - अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से कहा-"महाराज, इस चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो मुझे आता है, पर प्रवेश करने के बाद कहीं कोई संकट आ गया तो व्यूह से बाहर निकलना मुझे याद नहीं है।"
प्रश्न-6 दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर – अभिमन्यु की बाण-वर्षा से व्याकुल होकर जब सभी योद्धा पीछे हटने लगे, तो वीर लक्ष्मण अकेला जाकर अभिमन्यु से भिड़ गया। वह वीर बालक भाले की चोट से तत्काल मृत होकर गिर पड़ा।
प्रश्न-7 युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को किस प्रकार मदद करने का विश्वास दिलाया?
उत्तर – युधिष्ठिर ने कहा-"बेटा! व्यूह को तोड़कर एक बार तुम भीतर प्रवेश कर लो; फिर तो जिधर से तुम आगे बढ़ोगे, उधर से ही हम तुम्हारे पीछे-पीछे चले आएँगे और तुम्हारी मदद को तैयार रहेंगे।"
प्रश्न-8 पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से किसने और कैसे रोका?
उत्तर – सिंधु देश का पराक्रमी राजा जयद्रथ अपनी सेना को लेकर पांडव-सेना पर टूट पड़ा। जयद्रथ ने बड़ी कुशलता और बहादुरी से ठीक समय पर व्यूह की टूटी हुई किलेबंदी को फिर से पूरा करके मज़बूत बना दिया और पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया।
प्रश्न-9 युधिष्ठिर ने अभिमन्यु से चक्रव्यूह के बारे में क्या चर्चा की?
उत्तर – युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को बुलाकर कहा-"बेटा! द्रोण के रचे हुए चक्रव्यूह को तोड़ना हमारे और किसी वीर से हो नहीं सकता। अकेले तुम्हीं ऐसे हो, जिसके लिए द्रोण के बनाए इस व्यूह को तोड़ना संभव है। तुम द्रोण की सेना पर आक्रमण करने को तैयार हो?"।
प्रश्न-10 अभिमन्यु की वीरता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – द्रोणाचार्य के देखते-देखते उनका बनाया हुआ व्यूह को तोड़कर अभिमन्यु व्यूह के अंदर दाखिल हो गया। कौरव-वीर एक-एक करके अभिमन्यु का सामना करने आते गए और इस प्रकार कूच करते गए कि जैसे आग में पड़कर पतंगे भस्म हो जाते हैं। जो भी सामने आया, उस बालवीर के बाणों की मार से मारा गया। जयद्रथ ने बड़ी कुशलता से ठीक समय पर व्यूह की टूटी हुई किलेबंदी को फिर से पूरा करके मज़बूत बना दिया कि जिससे पांडव बाहर ही रह गए। परंतु अकेले अभिमन्यु ने व्यूह के अंदर ही कौरवों की उस विशाल सेना को तहस-नहस करना शुरू कर दिया। जो भी उसके सामने आता, खत्म हो जाता था। दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु भी अभिमन्यु से लड़ते हुए ही हुई। कर्ण ने पीछे की ओर से अभिमन्यु पर बाण चलाए। अभिमन्यु का धनुष कट गया। घोड़े और सारथी मारे गए। वह रथविहीन हो गया। अभिमन्यु टूटे हुए रथ का पहिया हाथ में उठा कर भयानक युद्ध करने लगा । इसी बीच दुःशासन का पुत्र ने गदा लेकर अभिमन्यु पर ज़ोर से प्रहार किया और गदा की मार से अभिमन्यु की मृत्यु हो गई।