Topic outline

    • मिठाईवाला

      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-17 किसके आने का समाचार नगर भर में फैल गया? लोग उसके बारे में क्या कहने लगे?

      उत्तर - मुरलीवाले के आने का समाचार नगर भर में फैल गया। लोग कहने लगे- "भाई वाह! मुरली बजाने में वह एक ही उस्ताद है। मुरली बजाकर, गाना सुनाकर वह मुरली बेचता भी है, सो भी दो-दो पैसे में। भला, इसमें उसे क्या मिलता होगा? मेहनत भी तो आती होगी!"

       

      प्रश्न-18 किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

      उत्तर -  रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने  इन व्यवसायों को अपनाने का कारण बताया कि इस तरह के जीवन में उसे अपने बच्चों की झलक मिल जाती है। उसे ऐसा लगता है कि उसके बच्चे इन्हीं में उछल - उछलकर  हँसखेल रहे हैं।

       

      प्रश्न-19 खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

      उत्तर -  खिलौनेवाले वाले की मधुर ध्वनि को सुनकर उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का झुंड उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला वहीं बैठकर खिलौने की पेटी खोल देता। बच्चे खिलौने देखकर पुलकित हो उठते। वे पैसे लाकर खिलौने का मोलभाव करने लगते। खिलौने लेकर फिर बच्चे उछलने-कूदने लगते।

       

      प्रश्न-20  मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

      उत्तर-  मिठाईवाला बच्चों की इच्छाओं को भली भांति समझता था इसलिए वह अलग-अलग चीज़ें बेचता था जिससे बच्चों की रूची बनी रहे।  अगर वह एक ही प्रकार की चीज़ें लाता तो उसके पास बच्चों की इतनी भीड़ नहीं लगती क्योंकि बच्चें बार -बार एक ही तरह की चीज़ें खरीदने उसके पास नहीं आते।  मिठाईवाला महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि वह और भी  कई जगहों पर जाकर चीज़ें बेचता था।

       

      प्रश्न-21 इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

      उत्तर -  आज भी पिछड़े इलाकों में और रूढ़िवादी परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है जहाँ औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं। वे ऐसा शर्म, प्रथा, और संकोच के कारण करती हैं। मेरी राय में ये सही नहीं है क्योंकि ये प्रथा केवल उनकी स्वंत्रता का हनन करती है बल्कि उनकी प्रगति में भी रूकावट उत्पन्न करती है।

       

      प्रश्न-22 फेरीवाले के दुःख का क्या कारण था और उसने उससे उबरने का क्या उपाय निकाला? 

      उत्तर - फेरीवाला अपने नगर का एक प्रतिष्ठित आदमी था। उसके पास मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोडे, नौकर-चाकर सभी कुछ था। उसका एक छोटा सा परिवार था - पत्नी और दो छोटे छोटे बच्चे। परन्तु विधाता की लीला कुछ ऐसी हुई कि उसकी पत्नी और बच्चे नहीं रहे। इस दुःख से निकलने के लिए उसने घूम घूम कर बच्चों की चीज़ें बेचना शुरू कर दिया।  बच्चों को उछलता कूदता देख और उन्हें  खुश देखकर उसे भी असीम सुख का अनुभव होता।

       

      प्रश्न-23  मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

      उत्तर-  मिठाईवाले में कई गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे जैसे कि

             i.            मादक-मधुर ढंग से गाकर चीज़ें बेचना।

           ii.            स्नेह से सभी से बातें करना।

        iii.            कम दाम में चीजें बेचना।

       iv.     बच्चों के लिए उनकी पसंद की नई नई चीजें लाना आदि

       

      प्रश्न-24  विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

      उत्तर-  एक ग्राहक के रूप में विजय बाबू अपना तर्क देते हुए बोले  -"तुम लोगों को झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझा मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।"

      एक विक्रेता के रूप में मुरलीवाला अपना तर्क देते हुए बोला - "आपको क्या पता बाबू जी कि इनकी असली लागत क्या है! यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं-दुकानदार मुझे लूट रहा है। "

       

      प्रश्न-25 ‘मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधर पर एक और कहानी बनाइए?

      उत्तर -  मिठाईवाला अपने नगर का एक प्रतिष्ठित आदमी था। उसके पास मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोडे, नौकर-चाकर सभी कुछ था।। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। परन्तु अचानक उसकी हरी भरी दुनिया बर्बाद हो गई। नगर में महामारी फैल गई जिसका शिकार उसका परिवार भी हो गया। इस दुःख से निकलने के लिए उसने घूम घूम कर बच्चों की चीज़ें बेचना शुरू कर दिया। बच्चों को उछलता कूदता देख और उन्हें  खुश देखकर उसे भी असीम सुख का अनुभव होता।


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