हिमालय की बेटियाँ
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-13 नदियों को हिमालय की बेटियाँ क्यों कहा गया है?
उत्तर- नदियों को हिमालय की बेटियाँ इसलिए कहा गया है क्योंकि इनकी उत्पत्ति हिमालय की बर्फ़ पिघलने से हुई है।
प्रश्न-14 नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर- नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटियों, प्रेयसी व् बहन के रूपों में भी देखते हैं।
प्रश्न-15 कालिदास के विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से क्या कहा था?
उत्तर - कालिदास के विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से कहा था- वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी वह प्रेयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी।
प्रश्न-16 हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर - हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, सागर, बरफ़ नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफ़ेदा, कैल के जंगलों की प्रशंसा की है।
प्रश्न-17 पर्वतराज हिमालय को सौभाग्यशाली क्यों कहा गया है?
उत्तर - दोनों महानादियाँ सिंधु और ब्रह्मपुत्र समुद्र की ओर प्रवाहित होती रही है। समुद्र को पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला इसलिए इसे सौभाग्यशाली कहा गया है।
प्रश्न-18 लेखक के मन में नदियों को बहन का स्थान देने की भावना कब उत्पन्न हुई?
उत्तर - एक दिन लेखक का मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। वह सतलज के किनारे जाकर बैठ गया और अपने पैर पानी में लटका दिए। थोड़ी ही देर में उस प्रगतिशील जल ने कवी पर असर डाला। उनका तन और मन ताज़ा हो गया और उन्होंने नदियों को बहन मान कर एक कविता रच दी और उसे गुनगुनाने लगे।
प्रश्न-19 लेखक ने किन-किन नदियों का ज़िक्र इस पाठ में किया है और उनके अस्तित्व के विषय में क्या कहा है?
उत्तर - लेखक ने सिंधु, ब्रह्मपुत्र, रावी, सतलुज, व्यास, चनाब, झेलम, काबुल, कपिशा, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि नदियों का ज़िक्र इस पाठ में किया है। लेखक कहता है कि वास्तव में ये नदियाँ दयालु हिमालय के पिघले हुए बरफ़ की एक-एक बूँद से इकठ्ठा हो-होकर बनी हैं और अंत में समुद्र की ओर प्रवाहित होती हैं।
प्रश्न-20 सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर - सिंधु और ब्रह्मपुत्र ये दो ऐसे नाम हैं जिनके सुनते ही रावी, सतलुज, व्यास, चनाब, झेलम, काबुल, कुभा, कपिशा, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि हिमालय की छोटी-बड़ी सभी नदियों के नाम याद आ जाते हैं। वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र की उत्पत्ति हिमालय के पिघले हुए जमी बर्फ़ के जल से हुई है। समुद्र भी स्वंय को सौभाग्यशाली मानता है कि उसे पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला है।
प्रश्न-21 काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर - नदियाँ हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। नदियों के बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं। नदियों के किनारे पर प्राचीन काल में कई सभ्यताओं का विकास हुआ। नदियाँ पर्यावरण और प्रकृति को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक होती हैं। इनके जल से फ़सल सींचे जाते हैं। आधुनिक युग में नदी के जल को रोक कर बाँधों का निर्माण किया गया है जो जल की आवश्यकता पूर्ती के साथ-साथ विद्युत् ऊर्जा की आवश्यकता को भी पूर्ण करती है। नदियों की इस महत्ता के कारण ही काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
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