दादी माँ
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-16 रामी की चाची ‘पूतों फलो दूधों नहाओ’ का आशीर्वाद किसे दे रही थी और क्यों?
उत्तर- रामी की चाची ‘पूतों फलो दूधों नहाओ’ का आशीर्वाद दादी माँ को दे रही थी क्योंकि उन्होंने उसका पीछे का सभी रुपया छोड़ दिया और उसकी बेटी की शादी के लिए ऊपर से दस रुपये का नोट भी दिया।
प्रश्न-17 लेखक को चादर में बड़ी हँसी आ रही थी परन्तु वो हँसना क्यों नहीं चाहता था?
उत्तर- लेखक को चादर में बड़ी हँसी आ रही थी परन्तु वो हँसना इसलिए नहीं चाहता था क्योंकि अगर वह ज़ोर से हँसा तो शोर से कहीं उसका भेद न खुल जाए और वो बाहर निकाला जाए। परन्तु भाभी की बात पर लेखक की हँसी रुक न सकी और उसका भंडाफोड़ हो गया।
प्रश्न-18 दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?
उत्तर - दादा की मृत्यु के बाद कुकुरमुत्ते की तरह बढ़नेवाले, मुँह में राम बगल में छुरीवाले दोस्तों की शुभचिंता ने स्थिति और भी डाँवाडोल कर दी। दादा के श्राद्ध में दादी माँ के मना करने पर भी लेखक के पिता जी ने अतुल संपत्ति व्यय की। वह संपत्ति घर की नहीं थी, कर्ज में ली गई थी। इन सब कारणों से लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी।
प्रश्न-19 देबू की माँ ने लेखक के साथ हाथापाई क्यों शुरू कर दी?
उत्तर - विवाह की रात को औरतें अभिनय करती हैं । यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते है। लेखक पास ही में एक चारपाई पर चादर ओढ़कर लेटा हुआ था। भाभी की बात पर उसकी हँसी रुक न सकी और उसका भंडाफोड़ हो गया। देबू की माँ ने चादर खींच ली और उसे भगाने के लिए हाथापाई शुरू कर दी।
प्रश्न-20 दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर - दादी माँ स्नेह और ममता की मूर्ति थी। मुझे उनके स्वभाव का सबसे अच्छा पक्ष - दूसरों की मदद करना लगता है। गाँव में कोई बीमार होता, उसके पास वह पहुँच जाती और उनका हाल चाल पूंछती । उन्होंने धन्नो का कर्ज माफ़ करके और उसे पैसे दिए जिससे वह अपनी बेटी की सादी अच्छे से कर सके। उन्होंने लेखक के पिताजी की भी अपने सोने के कंगन देकर मदद की।
प्रश्न-21 लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर - लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की कई बातों की याद आ जाती है। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
i. क्वार के दिनों में गाँव के चारों ओर पानी के हिलोरें, दूर के सिवान से बहकर आए नाना प्रकार की चीजें, पानी की सड़ने की विचित्रा गंध, किनारों पर झागभरे जलाशयों में धमाके से कूदना अदि।
ii. आषाढ़ में आम और जामुन, अगहन में चिउड़ा और गुड़, चैत के दिनों में लाई के साथ गुड़ की पट्टी खाना।
iii. बीमार होने पर दादी द्वारा की गई स्नेहपूर्ण देखभाल।
iv. किशन भैया की शादी में चोरी से औरतों का अभिनय देखना।
v. दादी माँ का धन्नों को कर्ज के लिए डाँटना फिर माफ़ कर देना।
vi. दादी माँ का पिताजी को बुरे वक्त में अपना सोने का कंगन देना।
प्रश्न-22 लेखक बचपन और अब की बीमारी में क्या अंतर महसूस करता है? उत्तर - बचपन में जब लेखक बीमार पड़ता तो दादी माँ बड़े स्नेह से उसका देख भाल करतीं। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलातीं, सर पर दालचीनी का लेप करतीं, बीमार वाला खाना बनवाती और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। आज जब लेखक बीमार पड़ता है तो नौकर पानी दे जाता है, मेस-महाराज अपने मन से पकाकर खिचड़ी या साबू। डॉक्टर साहब आकर नाड़ी देख जाते हैं और कुनैन मिक्सचर की शीशी की तिताई के डर से बुखार भाग भी जाता है, पर दादी की स्नेहपूर्ण देखभाल नहीं मिलती इसलिए लेखक को अब ऐसे बुखार को बुलाने का जी नहीं होता।
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