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    • खानपान की बदलती तसवीर

      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-29 आप खानपान में आए बदलावों को किस रूप में लेते हैं?

      उत्तर - खानपान  में आए बदलावों को आधुनिक परिवर्तन के रूप में ले सकते हैं।  अब गृहिणियों के पास स्थानीय व्यंजन पकाने के लिए समय नहीं है और प्रचुर मात्रा में वस्तुएँ  भी उपलब्ध नहीं हैं।  अब समय की बचत के लिए कामकाजी महिलाएँ जल्दबाजी में ऐसे व्यंजन बनाना पसंद करती है जो कम समय में तैयार हो जाते हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति से नयी पीढ़ी को देश - विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है। लेकिन मैं फास्ट फूड्स जैसे - नूडल्स, पिज़्ज़ा, बर्गर इत्यादि के पक्ष में नहीं हूँ क्योंकि इनके प्रयोग से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

       

      प्रश्न-30 खानपान की विविध संस्कृति अपनाने में सजग रहने की आवश्यकता क्यों है?

      उत्तर - खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीज़ें रख दी जाती है और उनका स्वाद गडड्मड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीज़ें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा पा रहें हैं। स्थानीय व्यंजन हमसे दूर होते जा रहें हैं, नयी पीढ़ी को इसका ज्ञान नहीं है और पुरानी पीढ़ी भी धीरे - धीरे इसे भुलाती जा रही है।  इसलिए हमें खानपान की विविध संस्कृति अपनाने में सजग रहने की आवश्यकता  है।

       

      प्रश्न-31 खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?

      उत्तर खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य सभी प्रदेशों के खान - पान के मिश्रित रूप से है। एक ज़माने में कुछ खास व्यंजन कुछ ही जगहों तक सिमित थे जैसे इडली - डोसा - वड़ा - सांभर केवल दक्षिण भारत में ही मिलते थे परन्तु आज यह सारे व्यंजन देश के हर शहर में मिलते हैं। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है।

      मसलन मैं उत्तर भारतीय हूँ, हमारा भोजन रोटी - चावल - दाल - सब्जी है लेकिन इन व्यंजनों के अलावा हम सांभर-डोसा, राजमा - चावल, ब्रेड, पराठे, बर्गर, फाफड़ा, ढोकला, नूडल्स इत्यादि भी खाते हैं।

       

      प्रश्न-32 खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?

      उत्तर - खानपान में बदलाव से

          i.      खान पान की मिश्रित संस्कृति से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।

         ii.     गृहिणियों कामकाज़ी महिलाओं को जल्दी तैयार होने वाले विविध वयंजनों की विधि प्राप्त होती है।

        iii.     बच्चों और बड़ो को मनचाहा भोजन मिलता है।

        iv.     नई पीढ़ी को देश विदेश के व्यंजनों के बारे में जानने का मौका मिलता है। 

         v.      स्वाद, स्वास्थ्य सरसता के आधार पर भोजन का चयन कर सकते है।

       

      इस बदलाव को लेकर लेखक चिंतित है क्योंकि

          i.        स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे स्थानीय व्यंजनों का अस्तित्व खतरें में है, उनकी लोकप्रियता कम हो रही है।

         ii.       खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।

        iii.      उत्तर भारत में उपलब्ध व्यंजनों की दुर्गति हो रही है।