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    • खानपान की बदलती तसवीर

      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-19 कल तक के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन अपना स्वाद क्यों खोते जा रहें हैं?

      उत्तर – कल तक के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन अपना स्वाद खोते जा रहें हैं क्योंकि खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।

       

      प्रश्न-20 मिश्रित व्यंजन संस्कृति का विकास किस प्रकार हुआ?

      उत्तर आज़ादी के बाद उद्योग - धंधों, नौकरियों - तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खान - पान की चीज़ें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँचीं हैं।

       

      प्रश्न-21 खानपान की मिश्रित संस्कृति ने युवाओं को किस प्रकार प्रभावित किया है?

      उत्तर - खानपान की इस बदली हुई संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित नयी पीढ़ी हुई है, जो पहले के स्थानीय व्यंजनों के बारे में बाहर कम जानती है, पर कई नए व्यंजनों के बारे में बहुत-कुछ जानती है।

       

      प्रश्न-22 खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?

      उत्तरयहाँ स्थानीयता का अर्थ किसी विशेष प्रांत के लोकप्रिय व्यंजन से है। जैसे- बम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले कुलछे, मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे, नमकीन आदि। लेकिन खानपान के बदलते नए रूप के कारण अब इनकी लोकप्रियता कम होती जा रही है।

       

      प्रश्न-23 खान - पान की नयी संस्कृति का राष्ट्रीय एकता में क्या योगदान है?

      उत्तरखान - पान की नयी संस्कृति का राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि हम खान - पान से भी एक दूसरों को जानते हैं। मसलन हम उस बोली - बानी, भाषा - भूषा आदि जो किसी खान - पान विशेष से जुडी हुई है, उसके बारे में ज़्यादा जानने का प्रयास करते हैं। 

       

      प्रश्न-24 देश में खानपान की संस्कृति में बदलाव के मुख्य कारण क्या है?

      उत्तर – आज़ादी के बाद उद्योग - धंधों, नौकरियों - तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खान - पान की चीज़ें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँचीं हैं। खानपान के नई तहज़ीब और नए व्यंजनों से लोग अवगत हुए है। इस प्रकार खानपान के मिश्रित संस्कृति का उदय हुआ है।

       

      प्रश्न-25 पिछले दस पंद्रह वर्षों में हमारी खानपान की संस्कृति में क्या बदलाव आया है?

      उत्तर – पिछले दस पंद्रह वर्षों में हमारी खानपान की संस्कृति में बहुत बदलाव आया है। इडली-डोसा-सांभर अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की 'ढाबा' संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। फ़ास्ट फ़ूड का चलन भी बड़े शहरों में खूब बढ़ा है।

       

      प्रश्न-26 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों जरुरी है?

      उत्तर स्थानीय व्यंजन किसी न किसी स्थान विशेष से जुड़े हुए हैं। वे हमारी संस्कृति के धरोहर हैं। उनसे हमारी पहचान होती है। परन्तु कई स्थानीय व्यंजनों को हमने तथाकथित आधुनिकता के चलते छोड़ दिया है और पश्चिम की नकल में बहुत सी ऐसी चीज़ें अपना ली हैं, जो स्वाद , स्वास्थ्य और सरसता के मामले में हमारे बहुत अनुकूल नहीं हैं। इसलिए 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार जरुरी है।

       

      प्रश्न-27 स्थानीय व्यंजनों के प्रति लोगों का आकर्षण क्यों काम होता जा रहा है?

      उत्तर – समय और साधन का अभाव और बढ़ती महँगाई के कारण कुछ स्थानीय व्यंजनों के प्रति लोगों का आकर्षण कम होता जा रहा है। खानपान की मिश्रित संस्कृति के कारण लोगो के पास विविध व्यंजनों में से अपनी पसंद के व्यंजन का चुनाव करने का अवसर उपलब्ध है। अतः लोग कम समय में कम खर्च में बन जाने वाले व्यंजनों को पसंद करते है।

       

      प्रश्न-28 खानपान का नकरात्मक पहलू क्या है? अपने शब्दों में लिखिए।

      उत्तरखानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीज़ें रख दी जाती है और उनका स्वाद गडड्मड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीज़ें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा पा रहें हैं। स्थानीय व्यंजन हमसे दूर होते जा रहें हैं, नयी पीढ़ी को इसका ज्ञान नहीं है और पुरानी पीढ़ी भी धीरे - धीरे इसे भुलाती जा रही है। यह खानपान का नकरात्मक पहलू है।