रहीम के दोहे
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 जल मछलियों का साथ कब छोड़ देता?
उत्तर - जब मछलियाँ जाल में फस जाती हैं तब जल उनका साथ छोड़ देता है।
प्रश्न-2 सच्चा मित्र कौन होता है?
उत्तर – सगे-संबंधी रूपी संपति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।
प्रश्न-3 पेड़ और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी क्या समझाना चाहते हैं?
उत्तर - पेड़ और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी समझाना चाहते हैं कि जिस प्रकार पेड़ अपने ऊपर लगा हुआ फल कभी नहीं खाता है और सरोवर अपना पानी स्वंय नहीं पीता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी अपना इक्कठा किया हुआ धन स्वंय पर न खर्च करके दूसरों के भले के लिए उपयोग में लाता है।
प्रश्न-4 निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित-हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, ड़े)
बिपति |
बादर |
मछरी |
सीत |
उत्तर – (i) बिपति – विपत्ति
(ii) बादर – बादल
(iii) मछरी – मछली
(iv) सीत – शीत
प्रश्न-5 नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर – 1. चारू चंद्र की चंचल किरणें (यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
2. रघुपति राघव राजा राम (यहाँ ‘र’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
प्रश्न-6 रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर – क्वार के मास में जो बादल आसमान में होते हैं वे सक्रिय नहीं होते। उन बादलों के पास पानी नहीं होता इसलिए केवल गरज कर ही रह जाते हैं, बरसते नहीं हैं। उसी प्रकार जो निर्धन हो गए हैं उनके पास धन नहीं होता वे केवल पुरानी बातें करते रहते हैं, कुछ कर नहीं पाते हैं। इसलिए कवि ने दोनों में समानता दिखाई है। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी और क्वार के गरजने वाले बादल निर्धन कहे जा सकते हैं।
प्रश्न-7 पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर - उदाहरण वाले दोहे –
(i) तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। (उदाहरण)
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान|| (कथन)
(ii) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। (उदाहरण)
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात|| (कथन)
(iii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह। (उदाहरण)
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह|| (कथन)
कथन वाले दोहे –
(1) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत||
(2) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह||
प्रश्न-8 नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए-
(क) तरुवर फल……………….सचहिं सुजान||
(ख) धरती की-सी……………….यह देह||
उत्तर - (क) अर्थ- रहीम दास जी इन पंक्तियों में कहते हैं जिस प्रकार पेड़ अपने ऊपर फले हुए फल को कभी नहीं खाते हैं, तालाब कभी अपने अन्दर जमा किये हुए पानी को कभी नहीं पीता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी अपना इक्कठा किये हुआ धन से दूसरों का भला करते हैं।
इस दोहे में बताई गई सच्चाई को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हमारे मन में परोपकार की भावना आएगी और हमारे मन से लोभ तथा मोह चला जाएगा। लोगों में कटुता, द्वेष तथा विषमता कम होगी और सदभाव बढ़ेगा। इस तरह समाज में एक अच्छा बदलाव आएगा।
(ख) अर्थ- इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं कि इस शरीर की सहने की शक्ति धरती समान है। जिस प्रकार धरती सर्दी-गर्मी वर्षा की विपरित परिस्थितियों को झेल लेती है। उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।
इस दोहे में बताई गई सच्चाई को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हममें सहनशीलता आएगी और हम आने वाले कष्ट के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, हमें दुख की अनुभूति कम होगी।