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      अपूर्व अनुभव

      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-16 यासुकी - चान को अपने पेड़ पर चढाने के लिए तोत्तो - चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।   

      उत्तर - यासुकी - चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो - चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। यासुकी - चान उसके पेड़ पर चढ़े, यह उसकी हार्दिक इच्छा थी। यही कारण था कि उसने यासुकी - चान को अपने पेड़ पर चढाने के लिए अथक प्रयास किया।

       

      प्रश्न-17 तोत्तो-चान ने यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए क्या - क्या किया? 

      उत्तर - तोत्तो-चान पहले चौकीदार के छप्पर से सीढ़ी ले आई। परन्तु यासुकी - चान के हाथ - पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। उसके बाद तोत्तो-चान वहाँ से एक तिपाई सीढ़ी ले आई। तोत्तो-चान उसका एक - एक पैर सीढ़ी पर धरने में मदद करती और अपने सिर से वह उसके पिछले हिस्से को भी स्थिर करती रही। ऊपर पहुँचने पर तोत्तो-चान ने यासुकी - चान को पेड़ की द्विशाखा पर खिंच लिया। इस तरह तोत्तो-चान ने यासुकी - चान को आखिर कर पेड़ पर चढ़ा दिया।

       

      प्रश्न-18 तोत्तो-चान ने यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए सबसे पहले क्या किया और वह असफल क्यों रही?

      उत्तर - तोत्तो-चान यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए चौकीदार के छप्पर से सीढ़ी ले आई। परन्तु यासुकी - चान के हाथ - पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी - चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाज़ुक सी, इससे अधिक सहायता क्या करती। यासुकी - चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सर झुकाकर खड़ा हो गया।

       

      प्रश्न-19 तोत्तो-चान पहली बार कब लगा कि यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाना उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी?

      उत्तर - तोत्तो-चान यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए चौकीदार के छप्पर से सीढ़ी ले आई।  परन्तु यासुकी - चान के हाथ - पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी - चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाज़ुक सी, इससे अधिक सहायता क्या करती। यासुकी - चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सर झुकाकर खड़ा हो गया। तब तोत्तो-चान पहली बार लगा कि यासुकी - चान को पेड़ पर उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी।

       

      प्रश्न-20 पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?

      उत्तर -  जब तोत्तो-चान एक तिपाई-सीढ़ी के द्वारा यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने की कोशिश कर रही थी तब सूरज का ताप उन पर पड़ रहा था। उन्हें काफ़ी पसीना रहा था। जब तोत्तो-चान द्विशाखा पर खड़ी होकर अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींच रही थी तब एक बादल का बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कड़ाती धूप से बचा रहा था। यह मौसम का बदलता रूप था।

       

      प्रश्न-21 दृढ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो - चान और यासुकी - चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग - अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।    

      उत्तर - दृढ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो - चान और यासुकी - चान को अपूर्व अनुभव मिला परन्तु इन दोनों के अनुभव एक दूसरे से अलग थे। तोत्तो - चान अक्सर अपने पेड़ पर चढ़ा करती थी। वहाँ से वह सामने दूर तक ऊपर आकाश को या नीचे सड़क पर चलते लोगों को देखा करती थी।  लेकिन उसे अपने पोलियो से ग्रस्त मित्र यासुकी - चान को अपने पेड़ पर चढ़ा कर बहुत खुशी और सन्तुष्टि मिली क्योंकि उसकी हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी - चान उसके पेड़ पर चढ़े। दूसरी ओर यासुकी - चान को भी बहुत प्रसन्नता हुई क्योंकि उस दिन उसने दुनिया की एक नयी झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी न देखा था।


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