चिड़िया की बच्ची
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-16 कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर - कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर बहुत खुशी महसूस होती है। यदि माधवदास उसे कैद कर लेता तो उसका जीवन नर्क के समान हो जाता। उसकी स्वतंत्रता, हँसी - ख़ुशी और उसका परिवार उससे दूर हो जाता।
प्रश्न-17 माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - माधवदास को वह चिड़िया बहुत ही सुन्दर और प्यारी लगी इसलिए वह चाहता था कि वह चिड़िया हमेशा के लिए उसके बगीचे में ही रह जाए। वह कहीं और ना जाए। यही कारण था कि वह बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। माधवदास यह निःस्वार्थ मन से नहीं कह रहा था, इसमें उसका स्वार्थ छुपा था। वह ऐसा इसलिए कह रहा था जिससे कि वह उसकी अध्भुत सुंदरता को निहार सके और उसका चहचहाना सुन सके।
प्रश्न-18 माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर - माधवदास और चिड़िया के मनोभाव एक दूसरे से विपरीत थे। एक तरफ माधवदास के लिए धन-संपत्ति, सुख-सुविधा से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं था और दूसरी ओर चिड़िया के लिए ये सभी सुख सुविधाएँ व्यर्थ थी। चिड़िया के लिए हवा, धुप और फूल ही उसकी धन-संपत्ति थे। उसकी सारी संपन्नता उसकी स्वछंदता ही थी। उसे सोने चाँदी से कुछ लेना देना नहीं था इसलिए वह माधवदास की बातों का महत्व नहीं दे रही थी। चिड़िया के लिए आत्मिक और पारिवारिक सुख ही महत्वपूर्ण था। उसके लिए उसकी माँ की गोद सबसे प्यारी थी। अर्थात् चिड़िया की खुशी भौतिक सुखों से अलग भावनात्मक सुखों में थी। परन्तु माधवदास के लिए धन दौलत ही सर्वोपरि था। उसके सामने भावनाएँ मूल्यहीन थीं।
प्रश्न-19 किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर – माधवदास ने अपने लिए संगमरमर की एक नयी कोठी बनवायी थी और उसके सामने बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया था। उसका रहन सहन रईसों जैसा था। उसके पास कई कोठियाँ, बगीचें और दास - दासियाँ थीं । वह चिड़िया से बात के क्रम में उसके लिए सोने का घर बनवाने तथा उसे मालामाल कर देने की बात भी करता है। इन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था।
पाठ में बताया गया है कि उसके जीवन में खालीपन था। वह चिड़िया से बात के क्रम में कहता है कि उसका महल सुना है और वहाँ कोई भी चहचहाता नहीं है। उसका चिड़िया को साथ रहने के लिए प्रलोभन देना और केवल अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए उसे पकड़ने का प्रयास करना यह दर्शाता है कि सारी संपन्नताओं के बावजूद भी वह सुखी नहीं था।