भीष्म – प्रतिज्ञा (Page 5 & 6)
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प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 राजा शांतनु क्यों प्रसन्न थे?
उत्तर- राजा शांतनु देवव्रत को पुत्र के रूप में पाकर प्रसन्न थे।
प्रश्न-2 राजा शांतनु ने यमुना तट पर क्या देखा?
उत्तर- राजा शांतनु ने यमुना तट पर अप्सरा-सी सुंदर एक तरुणी को देखा जिसका नाम सत्यवती था।
प्रश्न-3 सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में क्या विचार आया?
उत्तर - सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में उन्हें अपनी पत्नी बनाने की इच्छा हुई।
प्रश्न-4 केवटराज की क्या सर्त थी?
उत्तर - केवटराज की शर्त थी कि राजा शांतनु के बाद हस्तिनापुर का राज सिंहासन सत्यवती के पुत्र को मिले।
प्रश्न-5 राजा शांतनु क्यों चिंतित थे?
उत्तर - राजा शांतनु इसलिए चिंतित थे क्योंकि वह सत्यवती से विवाह करना चाहते थे पर सत्यवती के पिता केवटराज ने जो शर्त रखी वो अनुचित थी।
प्रश्न-6 देवव्रत को पिता शांतनु के चिंतित होने का कारण किस प्रकार पता चला?
उत्तर - देवव्रत को पिता शांतनु के चिंतित होने का कारण उनके सारथी से पूछताछ करने से पता चला।
प्रश्न-7 देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
उत्तर - देवव्रत का नाम भीष्म इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने आजन्म ब्रह्मचारी रहने की कठोर प्रतिज्ञा की थी।
प्रश्न-8 सत्यवती और शांतनु के कितने पुत्र हुए?
उत्तर - सत्यवती और शांतनु के दो पुत्र हुए - चित्रांगद और विचित्रवीर्य।
प्रश्न-9 राजा शांतनु के बाद कौन हस्तिनापुर के सिहांसन पर बैठा?
उत्तर - राजा शांतनु के बाद चित्रांगद हस्तिनापुर के सिहांसन पर बैठा।
प्रश्न-10 चित्रांगद के युद्ध में मारे जाने के बाद हस्तिनापुर की राजगद्दी किसे दी गयी?
उत्तर - चित्रांगद के युद्ध में मारे जाने के बाद हस्तिनापुर की राजगद्दी विचित्रवीर्य को दी गयी।
प्रश्न-11 विचित्रवीर्य की कितनी रानियाँ थीं? उनके नाम लिखें।
उत्तर - विचित्रवीर्य की दो रानियाँ थीं - अंबिका और अंबालिका।
प्रश्न-12 अंबिका और अंबालिका के पुत्रों के नाम लिखें।
उत्तर - अंबिका के पुत्र थे धृतराष्ट्र और अंबालिका के पुत्र थे पांडु ।
प्रश्न-13 किसने किससे कहा?
i. “मेरे पिता मल्लाहों के सरदार हैं। पहले उनकी अनुमति ले लीजिए। फिर मैं आपकी पत्नी बनने के लिए तैयार हूँ।”
सत्यवती ने राजा शांतनु से कहा ।
ii. ““आपको मुझे एक वचन देना पड़ेगा ।”
केवटराज ने राजा शांतनु से कहा ।
iii. “जो माँगोगे दूँगा यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो ।”
राजा शांतनु ने केवटराज से कहा ।
iv. “पिता जी, संसार का कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो आपको प्राप्त न हो, फिर भी इधर कुछ दिनों से आप दुखी दिखाई दे रहें हैं । आपको किस बात की चिंता है ।”
देवव्रत ने राजा शांतनु से कहा ।
v. “यदि तुम्हारी आपत्ति का कारण यही है, तो मैं वचन देता हूँ कि मैं राज्य का लोभ नहीं करूँगा । सत्यवती का पुत्र ही मेरे पिता के बाद राजा बनेगा ।”
देवव्रत ने राजा केवटराज से कहा ।
vi. “आर्यपुत्र, इस बात का मुझे पूरा भरोसा है कि आप आपने वचन पर अटल रहेंगे, किंतु आपकी संतान से मैं वैसी आशा कैसे रख सकता हूँ?”
केवटराज ने देवव्रत से कहा ।