Topic outline

    • चौसर का खेल व द्रोपदी की व्यथा

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      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-1  अंत में दुर्योधन ने द्रौपदी को सभा में लाने के लिए किसे भेजा?

      उत्तर- अंत में दुर्योधन ने द्रौपदी को सभा में लाने के लिए दुःशासन को  भेजा।

       

      प्रश्न-2  दुर्योधन ने प्रातिकामी को बुलाकर क्या आदेश दिया?

      उत्तर- दुर्योधन ने प्रातिकामी को बुलाकर कहा-"विदुर तो हमसे जलते हैं और पांडवों से डरते हैं। रनवास में जाओ और द्रौपदी को बुला लाओ।”

       

      प्रश्न-3 दुःशासन द्रौपदी को सभा किस प्रकार ले कर आया?

      उत्तर दुःशासन ने द्रौपदी के गुँथै हुए बाल बिखेर डाले, गहने तोड़-फोड़ दिए और उसके बाल पकड़कर बलपूर्वक घसीटता हुआ सभा ले कर आया।

       

      प्रश्न-4 युधिस्ठर अपने चारों भाइयों को भी जुए में हार गए। इस पर शकुनि ने सभा में क्या घोषणा की?

      उत्तर - इस पर शकुनि सभा के बीच उठ खड़ा हुआ और पाँचों पांडवों को एक-एक करके पुकारा और घोषणा की कि वे अब उसके गुलाम हो चुके हैं।

       

      प्रश्न-5 युधिष्ठिर न जब द्रौपदी को भी दाँव पर लगा दिया तब सभा मंडप में उपस्थित लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

      उत्तर - युधिष्ठिर की इस बात पर सारी सभा में एकदम हाहाकार मच गया। जहाँ वृद्ध लोग बैठे थे, उधर से धिक्कार की आवाजें आने लगीं। लोग बोले-"छि:-छिः, कैसा घोर पाप है!" कुछ ने आँसू बहाए और कुछ लोग परेशानी के मारे पसीने से तर-बतर हो गए।



      प्रश्न-6 किसने किससे  कहा?

      i. “हाँ! यदि इस बार तुम जीत गए, तो मैं खुद तुम्हारे अधीन हो जाऊँगा”

      युधिष्ठिर ने शकुनि से कहा।

      ii. “एक और चीज़ है, जो तुमने अभी हारी नहीं है। उसकी बाजी लगाओ, तो तुम अपने-आपको भी छुड़ा सकते हो।”

      शकुनि ने युधिष्ठिर से कहा।

      iii. “चलो अपनी पत्नी द्रौपदी की भी मैंने बाज़ी लगाई!”

      युधिष्ठिर ने शकुनि से कहा।

      iv. “आप अभी रनवास में जाएँ और द्रौपदी को यहाँ ले आएँ। उससे कहें। कि जल्दी आए।”

      दुर्योधन ने विदुर से कहा।

      v. “मूर्ख! नाहक क्यों मृत्यु को न्यौता देने चला है। अपनी विषम परिस्थिति का | तुम्हें ज्ञान नहीं है।”

      विदुर ने दुर्योधन से कहा।

      vi. “विदुर तो हमसे जलते हैं और पांडवों से डरते हैं। रनवास में जाओ और द्रौपदी को बुला लाओ।”

      दुर्योधन ने प्रातिकामी से कहा।

      vii. “द्रौपदी से जाकर कह दो कि वह स्वयं ही आकर अपने पति से यह प्रश्न कर ले।”

      दुर्योधन ने प्रातिकामी से कहा।