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    • लाख का घर (Page 20)


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      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-1  पांडवों को वारणावत भेजने में दुर्योधन की क्या सोच थी?

      उत्तर-  दुर्योधन ने पुरोचन से कह कर वारणावत में लाख का भवन बनवाया था । दुर्योधन की योजना थी कि कुछ दिनों तक पांडवों को लाख के भवन में आराम से रहने दिया जाए और जब वे पूर्ण रूप से निःशंक हो जाएँ, तब रात में भवन में आग लगा दी जाए, जिससे पांडव तो जलकर भस्म हो जाएँ और कौरवों पर भी कोई दोष न लगा सके।

       

      प्रश्न-2   कर्णिक नामक ब्राह्मण कौन था और उसने धृतराष्ट्र से क्या कहा?

      उत्तर-  कर्णिक नाम का एक ब्राह्मण था जो शकुनि का मंत्री था। उसने धृतराष्ट्र से कहा कि जो ऐश्वर्यवान है, वही संसार में श्रेष्ठ माना जाता है। यह बात ठीक है कि पांडव आपके भतीजे हैं, परंतु वे बड़े शक्ति संपन्न भी हैं। इस कारण से अभी से चौकन्ने हो जाइए। आप पांडु पुत्रों से अपनी रक्षा कर लिजिए , वरना पीछे पछताइएगा।

       

      प्रश्न-3 पुरोचन कौन था?

      उत्तर -  पुरोचन दुर्योधन का मंत्री था।

       

      प्रश्न- 4 दुर्योधन ने पांडवों को वारणावत के मेले में भेजने के लिए किस प्रकार अपने पिता धृतराष्ट्र पर दबाब डाला?

      उत्तर -  दुर्योधन ने धृतराष्ट्र पर दबाब डालने के लिए कुछ  कूटनीतिज्ञों को अपने पक्ष में मिला लिया और वे  बारी - बारी से धृतराष्ट्र के पास जाकर पांडवों के विरुद्ध उन्हें उकसाने लगे ।



      प्रश्न-5   पांडवों को भी वारणावत जाने की उत्सुकता क्यों हुई?

      उत्तर -  दुर्योधन ने पांडवों से कहा कि वारणावत में एक भारी मेला होनेवाला है, जिसकी सोभा देखते ही बनेगी। उनकी बातें सुन - सुनकर खुद पांडवों को भी वारणावत जाने की उत्सुकता हुई।

       

      प्रश्न-6   पुरोचन ने वारणावत जाकर दुर्योधन के कहने पर पांडवों के लिए कैसा भवन बनवाया?

      उत्तर -  वहाँ जाकर उसने पांडवों के ठहरने के लिए सन, घी, मोम, तेल, लाख, चरबी आदि जल्दी आग पकड़नेवाली चीज़ों को मिट्टी में मिलाकर एक सुंदर भवन बनवाया।

       

      प्रश्न-7    किसने  किससे  कहा?

      i.        “राजन! जो ऐश्वर्यवान है, वही संसार में श्रेष्ठ माना जाता है।”

      कर्णिक ने धृतराष्ट्र से कहा।

       

      ii.       “पिता जी, आपको कुछ नहीं करना है, सिर्फ़ पांडवों को किसी - न - किसी बहाने वारणावत के मेले में भेज दीजिए।”

      दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा।