द्रोणाचार्य (Page 17)
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प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य को द्रुपद पर क्यों क्रोध आया?
उत्तर- द्रोणाचार्य को द्रुपद पर क्रोध उसकी कठोर गर्वोक्तियों को सुनकर आया।
प्रश्न-2 द्रुपद के कठोर वचनो को सुनकर द्रोण ने क्या निश्चय किया?
उत्तर- द्रुपद के कठोर वचनो को सुनकर द्रोण ने निश्चय किया कि वह अभिमानी द्रुपद को सबक सिखाएंगे और बचपन में जो मित्रता की बात हुई थी उसे पूरा करके चैन लेंगें।
प्रश्न-3 हस्तिनापुर के राजकुमारों की गेंद खेलते-खेलते कहाँ जा गिरी?
उत्तर - हस्तिनापुर के राजकुमारों की गेंद खेलते-खेलते एक कुएँ में जा गिरी।
प्रश्न-4 युधिष्ठिर की अँगूठी कुएँ में कैसे गिर पड़ी?
उत्तर - युधिष्ठिर कुएँ से गेंद को निकालने का प्रयत्न करने लगे, तो उनकी अँगूठी भी कुएँ में गिर पड़ी।
प्रश्न-5 द्रोणाचार्य ने किस प्रकार गेंद कुएँ से निकाली?
उत्तर - द्रोणाचार्य ने पास में पड़ी हुई सींक उठा ली और उसे पानी में फेंका। सींक गेंद को ऐसे जाकर लगी, जैसे तीर और फिर इस तरह लगातार कई सींकें वे कुएँ में डालते गए। सींकें एक - दूसरे के सिरे से चिपकती गईं। जब आखिरी सींक का सिरा कुएँ के बाहर तक पहुँच गया, द्रोणाचार्य ने उसे पकड़कर खींच लिया और गेंद निकल गई।
प्रश्न-6 द्रोणाचार्य ने अँगूठी किस प्रकार निकाली?
उत्तर - द्रोण ने धनुष चढ़ाया और कुएँ में तीर मारा। पलभर में बाण अँगूठी को अपनी नोक में लिए हुए ऊपर आ गया।
प्रश्न-7 किसने किससे कहा?
i. “बोलो, मैं गेंद निकाल दूँ, तो तुम मुझे क्या दोगे?”
द्रोण ने राजकुमारों से कहा।
ii. “ब्राह्मण श्रेष्ठ! आप गेंद निकाल देंगें, तो कृपाचार्य के घर आपकी बढ़िया दावत करेंगें।”
युधिष्ठिर ने द्रोण से कहा।
iii. “महाराज! हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए और हमें अपना परिचय दीजिए कि आप कौन हैं?”
राजकुमारों ने द्रोण से कहा।
iv. “यह सारी घटना सुनाकर पितामह भीष्म से ही मेरा परिचय प्राप्त कर लेना।”
द्रोण ने राजकुमारों से कहा।