Topic outline

    • अवध पुरी में राम (Page 5)


       

      अवध पुरी में राम (Page 6)


       

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      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-1  महर्षि विश्वामित्र के आश्रम का क्या नाम था ?

      उत्तर- महर्षि विश्वामित्र के आश्रम का नाम सिद्धाश्रम था ।

       

      प्रश्न-2  महर्षि विश्वामित्र के द्वारा सहायता मांगने पर राजा दशरथ की क्या दशा हुई?

      उत्तर- राजा दशरथ काँप कर बेहोश हो गए और होश आया तो डर ने उन्हें फिर से जकड़ लिया ।

       

      प्रश्न-3  राजा दशरथ ने महर्षि विश्वामित्र से क्या बिनती की?

      उत्तर - राजा दशरथ ने महर्षि विश्वामित्र से बिनती की कि उनका राम अभी सोलह वर्ष का भी नहीं हुआ है तो वह राक्षसों से कैसे लड़ेगा? उन्हें कैसे मारेगा? इससे अच्छा होगा कि वह उनकी सेना ले जाएँ ।

       

      प्रश्न-4  महर्षि विश्वामित्र ने अपना क्रोध व्यक्त क्यों नहीं किया?

      उत्तर - महर्षि विश्वामित्र ने अपना क्रोध व्यक्त इसलिय नहीं किया क्योंकि क्रोध करने से उनका यज्ञ खंडित हो जाता ।

       

      प्रश्न-5  महर्षि विश्वामित्र स्वयं राक्षसों का वध क्यों नहीं करना चाहते थे?

      उत्तर - महर्षि विश्वामित्र स्वयं राक्षसों का वध इसलिय नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने संन्यास ले लिया था ।



      प्रश्न-6 महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या समझाया ?

      उत्तर - महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को राम की शक्ति के बारे में, प्रतिज्ञा तोड़ने के बारे में और के साथ रहने पर राम को होने वाले लाभ के बारे में समझाया ।

       

      प्रश्न-7 रघुकुल की क्या रिति थी?

      उत्तर  - रघुकुल की रिति थी कि वचन का पालन प्राण देकर भी करना चाहिए ।

       

      प्रश्न-8  महर्षि विश्वामित्र राम के साथ और किसे अपने साथ ले गए ?

      उत्तर  - महर्षि विश्वामित्र राम के साथ लक्ष्मण और किसे अपने साथ ले गए ।

       

      प्रश्न-9  राजा दशरथ की विशेषताएं लिखिए ।

      उत्तर  - राजा दशरथ कुशल योद्धा, प्रजा पालक और न्यायप्रिय शासक थे ।

       

      प्रश्न-10 किसने किससे कहा?

      “राजा दशरथ कुशल योद्धा, प्रजा पालक और न्यायप्रिय शासक थे ।”

      राजा दशरथ ने महर्षि विश्वामित्र से कहा ।

       

      आप राघुकुल की रिति तोड़ रहे हैं

      महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से कहा ।

       

      राजन, आपको अपना वचन पूरा करना चाहिए

      महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ से कहा ।