‘बचपन’
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-19 लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थीं?
उत्तर - लेखिका बचपन में इतवार की सुबह अपने मोजें व स्टॉकिंग धोती थी और जूतों को पालिश कर के कपड़े से रगड़ कर या ब्रश से उन्हें चमकाती थी।
प्रश्न-20 लेखिका यह क्यों कहती है कि मैं तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी?
उत्तर - लेखिका की आयु दादी और नानी कहलाने की है इसलिए लेखिका कहती है कि मैं तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी।
प्रश्न-21 जूतों के बारे में लेखिका का क्या अनुभव रहा है?
उत्तर - लेखिका को हर इतवार को जूते पॉलिश करने होते थे और नए जूते मिलने पर उन्हें छालों का इलाज शुरू करना पड़ता था। जबकि आज के जूते कहीं ज्यादा आरामदेह होते हैं।
प्रश्न-22 लेखिका चश्मे के लिए स्वंय को ज़िम्मेवार क्यों समझती थी?
उत्तर - लेखिका चश्मे के लिए स्वंय को ज़िम्मेवार इसलिए समझती थी क्योंकि वह दिन की रोशनी को छोड़कर रात में टेबल लैम्प के सामने काम किया करती थीं जिसके कारण उनकी नज़र कमज़ोर हो गई थी।
प्रश्न-23 लेखिका बचपन में किन रंगों के कपडे पहनती थी और अब कैसे कपडे पहनती है?
उत्तर - लेखिका पहले रंग - बिरंगे कपडे पहनती थी जैसे नीला - जमुनी - ग्रे - काला - चॉकलेटी इत्यादि परन्तु लेखिका अब गहरे नहीं बल्कि हलके रंग जैसे सफ़ेद रंग के कपड़े पहनती है।
प्रश्न-24 पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका के चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्यों छेड़ते थे।
उत्तर - लेखिका के चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें इसलिए छेड़ते थे क्योंकि जब भी कोई पहली बार चश्मा लगता है तो उसे और देखने वालों को अटपटा सा लगता है।
प्रश्न-25 टोपी के बारे में लेखिका के क्या विचार है?
उत्तर - लेखिका इन दिनों शिमला में सिर पर टोपी लगाना पसंद करती हैं। उन्होंने कई रंगों की टोपियाँ जमा कर ली हैं। उनका कहना है कि दुपट्टों का ओढ़ना अलग बात है और सहज सहल सुभीते हिमाचली टोपियाँ पहनना अलग बात है।
प्रश्न-26 जब लेखिका के चचेरे भाई चले गए तब लेखिका ने क्या किया?
उत्तर - जब लेखिका के चचेरे भाई चले गए तब लेखिका अपने कमरे में जाकर आईने के सामने खड़ी हो गई और कई बार अपने को देखा। ऐनक उतारी। फिर पहनी। फिर उतारी। देखती रही - देखती रही और छोचने लगी क्या सचमुच में उनका चेहरा लंगूर के चेहरे - जैसा है?
प्रश्न-27 लेखिका ने शिमला रिज के बारे में क्या बताया है?
उत्तर - लेखिका ने शिमला रिज पर बहुत मज़े किए हैं। घोड़ों की सवारी की है। शाम को रंग बिरंगे गुब्बारे, जाखू का पहाड़ और गूंजती चर्च की घंटियाँ सभी को आकर्षित करती थी। अँधेरा होने के बाद रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक देखते ही बनती थी।
प्रश्न-28 लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीज़ें मज़ा ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर - लेखिका को बचपन में चॉकलेट खाना बहुत पसंद था। वो हमेशा रात में खाने के बाद अपने बिस्तर में आराम व मज़े लेते हुए चॉकलेट खाती थीं। इसके अतिरिक्त लेखिका अपने बचपन में कुल्फ़ी, शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री, चना ज़ोर गरम, अनारदाने का चूर्ण, आग पर भूने चेस्टनट आदि मज़े ले कर खाती थीं। उन्हें काफ़ल, रसभरी , कसमल आदि फल खाना बहुत पसंद था।
प्रश्न-29 ‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’ − इस बात के लिए लेखिका क्या - क्या उदाहरण देती हैं?
उत्तर - लेखिका अपने समय से आज के समय की दूरी को बताने के लिए निम्नलिखित उदाहरण देती है:-
1. लेखिका बताती हैं कि उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे, रेडियो और टेलीविजन नहीं थे।
2. पहले बच्चे कुलफ़ी खाना पसन्द किया करते थे; परन्तु आज उसकी जगह आइसक्रीम ने ले ली है। कचौड़ी-समोसे की जगह पैटीज़ ने ले ली है।
3. शहतूत, फ़ालसे और खसखस के शरबत का स्थान आजकल पेप्सी और कोक ने ले लिया है।
प्रश्न-30 पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर चिढ़ाते थे?
उत्तर - दिन की रोशनी को छोड़कर रात में टेबल लैम्प के सामने काम करने के कारण लेखिका की आँखों में तकलीफ होने लगी थी इसलिए उन्हें चश्मा लगाना पड़ा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छेड़ते हुए कहते थे -
आँख पर चश्मा लगाया
ताकि सूझे दूर की
यह नहीं लड़की को मालूम
सूरत बनी लांगुर की!